बहुत से आरोपी स्वयं को अपराध से बचाने के लिए ऐसे सबूतों को न्यायालय में पेश करते हैं जो फर्जी होते हैं या बनावटी होते है जैसे की अपराध के समय पर कहीं और उपस्थित का दस्तावेज बनवा लेते है या झूठी रसीद बनाकर असली के रूप मे प्रयोग करते है, फर्जी मकान मालिक के हस्ताक्षर कर लेते हैं और सबूत के लिए न्यायालय में पेश कर देते हैं। तब ऐसे झूठे सबूत पेश करने वाले व्यक्ति पर किस कानून के अंतर्गत मामला दर्ज होगा जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 233 एवं भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 196 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति किसी झूठे साक्ष्य को यह जानते हुए की वह झूठा एवं गढ़ा हुआ है उसे असली और सच्चे साक्ष्य के रूप मे प्रयोग करेगा या प्रयोग करने का प्रयास करेगा वह व्यक्ति BNS की धारा 233 एवं IPC की धारा 196 के अंतर्गत दोषी होगा एवं न्यायालय द्वारा दंडित किया जाएगा।
सम्राट बनाम राम नाना मामले में:- आरोपी ने हमले के आरोप से बचने के लिए यह साबित करने का प्रयास किया कि वह हमले के समय घटना-स्थल पर मौजूद नहीं था। इस हेतु उसने काजी होज की रसीद प्रस्तुत की तथा कांजी हौज के अधिकारी जिसने रसीद दी थी, को गवाह के रूप मे प्रस्तुत किया। न्यायालय ने आरोपी के बचाव को अस्वीकार करते हुए उसे एवं कांजी होज के अधिकारी को भ्रष्टतापूर्वक मिथ्या साक्ष्य देने के लिए आरोपित किया क्योंकि उन्होंने झूठी रसीद का असली (प्रमाणित) साक्ष्य के रूप मे प्रयोग किया था अतः न्यायालय ने दोनों को IPC की धारा 196 के अंतर्गत दण्डित किया।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 233 or Indian Penal Code Section 196 Provision of punishment
"यह अपराध,असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं, अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध की एफआईआर दर्ज नहीं होगी। इस अपराध के लिए उसी न्यायालय में परिवाद लगाया जा सकता है जिस न्यायालय में आरोपी झूठा साक्ष्य प्रस्तुत कर रहा है एवं सुनवाई भी उसी न्यायालय में होगी। इस अपराध के लिए आरोपी को वहीं दण्ड दिया जाएगा जो मिथ्या साक्ष्य देने या गढने के लिए दिया जाता है अर्थात् न्यायिक कार्यवाही में देने के लिए रसीद जारी करने पर अधिकतम सात वर्ष कारावास और 10000 रुपये जुर्माना एवं अन्य मामलों की कार्यवाही के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास एवं 5000 रुपये जुर्माना। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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