जबलपुर स्थित हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश द्वारा मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर, मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल भोपाल एवं अन्य में सरकारी भर्ती प्रक्रिया में 13% पद होल्ड कर दिए जाने के मामले में सरकार को आखिरी मौका दिया गया है।
याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलील
अभ्यर्थियों की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच क्रमांक 2 के समक्ष दिनांक 3/5/2024 को सब इंजीनियरों की भर्ती में होल्ड अभ्यर्थियों की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि महाधिवक्ता कार्यालय उक्त याचिकाओं में विगत 8 महीनो से समय लिया जा रहा है तथा उक्त याचिकाओं में जवाब दाखिल नहीं कर रहे। ना ही ओबीसी आरक्षण के प्रकरणों को निराकृत करवाने में कोई रूची ले रहे है। ना ही उक्त मामलों के निराकरण में महाधिवक्ता महोदय, न्यायालय का सहयोग कर रहे हैं बल्कि ओबीसी के सैकड़ो मामलों को महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा उलझा कर रख दिया गया है तथा आरक्षण कानून के विरोध में तथा हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश की गलत व्याख्या करके, शासन को गलत अभिमत देकर ओबीसी आरक्षण के विरोध में कार्य कर रहे हैं।
साक्ष्य के तौर पर महाधिवक्ता के अभिमत को याचिका में संलग्न किया गया है तथा हाई कोर्ट को बताया गया कि महाधिवक्ता एक संवैधानिक पद है तथा प्रदेश का लोक अभियोजक है। जिसकी जिम्मेदारी भारत के संविधान और राज्य के विधानसभा द्वारा बनाए गए कानून के अनुरूप कार्य करना है। इसके बदले मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचित निधि अर्थात पब्लिक फंड से वेतन और सुविधाएं दी जाती है लेकिन महाधिवक्ता, ओबीसी वर्ग के हितों से संबंधित शासन के कानून की प्रतिरक्षा नहीं करते। ना ही समय सीमा में लिखित जवाब दाखिल करते हैं तथा भ्रमित करने के उद्देश्य से न्यायालय द्वारा पारित ऐसे आदेशों पर ध्यान आकर्षित किया जाता है, दो याचिका में उठाई गई मुद्दों से सुसंगत नहीं है। उनको रेखांकित करके न्यायालय को गुमराह किए जाने का कार्य करके ओबीसी वर्ग के लाखों युवाओं के स्वर्णिम भविष्य को बर्बाद करने का काम किया जा रहा है।
उक्त समस्त तर्क दिनांक 3/5/24 को खुले न्यायालय में ओबीसी के होल्ड अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिकाओं WP / 15365/23, 15822/23,18070/23,18524/23,19601/23 में पक्ष रख रहे ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह कोर्ट को बताया। उक्त समस्त मामलो में महाधिवक्ता कार्यालय को एक सप्ताह के अंदर जवाब देने का आखिरी मौका दिया गया है।
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