मध्य प्रदेश में मिडिल क्लास मतदान से दूर, महिलाएं भी रूठ गईं - MP NEWS

मध्य प्रदेश में मिडिल क्लास मतदान से दूर हो गया है और आंकड़े बोलते हैं कि, लाडली बहना योजना में पक्षपात के कारण वह महिलाएं भी रूठ गई है, जिन्हें योजना का लाभ नहीं मिला। लोगों का कहना है कि सरकारी योजनाओं ने निम्न वर्ग को मध्यम वर्ग के ऊपर लाकर खड़ा कर दिया है, और विपक्ष का घोषणा पत्र तो ऐसा है कि यदि कांग्रेस की सरकार बन गई तो मिडिल क्लास की एक बड़ी संख्या, लोअर क्लास में शामिल हो जाएगी। 

मध्य प्रदेश में कम मतदान का सबसे बड़ा कारण

मध्य प्रदेश के मतदाताओं में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर निराशा देखने को मिल रही है। दूसरे चरण के चुनाव में ओवरऑल 8% वोटिंग कम हुई। चुनाव में एक प्रतिशत वोटिंग के इधर-उधर हो जाने से चुनाव के परिणाम बदल जाते हैं। यदि महिलाओं की बात करें तो 2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 11% महिलाएं वोट डालने के लिए घर से ही नहीं निकली। मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां पर जाति और संप्रदाय पर आधारित राजनीति सफल नहीं होती। यहां के लोग बड़े शांत हैं और केवल शांतिपूर्वक विकास की मांग करते हैं लेकिन नेताओं की वोट बैंक की पॉलिसी के कारण पहली बार मध्य प्रदेश में दो वर्गों के बीच में एक अंतर दिखाई देने लगा है। सरकारी योजनाओं के हितग्राहियों की लाइफ़स्टाइल बदल रही है। मिडिल क्लास स्प्लेंडर पर है और योजनाओं के हितग्राही डेढ़ लाख रुपए की मोटरसाइकिल पर घूम रहे हैं। मिडिल क्लास को ₹50000 का मेडिकल बिल भरने के लिए नाते रिश्तेदारों से उधार लेना पड़ता है और लोअर क्लास के लिए 5 लख रुपए वाली सरकारी मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी है। इस प्रकार के अंतर की एक लंबी लिस्ट है जिसके कारण मिडिल क्लास हर रोज डिप्रेशन में चला जाता है। दोनों पार्टियों की घोषणा पत्र में मिडिल क्लास के लिए उम्मीद की कोई कारण नहीं है। यही कारण है कि मिडिल क्लास ने इस बार एक मौन मूवमेंट शुरू कर दिया है। 

राज्य निर्वाचन भी बराबर का जिम्मेदार है

चुनाव में लोगों को मतदान के लिए मोटिवेट करना राज्य निर्वाचन का काम है। इसके लिए भरपूर पैसा भी मिलता है। इस बार भी कई कार्यक्रम हुए हैं। इनमें से कुछ कार्यक्रम फाइव स्टार होटल में हुए हैं। कुछ कार्यक्रम पिकनिक स्पॉट पर हुए हैं। आज ही एक जिला निर्वाचन अधिकारी, अपने साथियों के साथ नाव लेकर नदी में उतर गए। नाव में तिरंगा लगाकर वीकेंड पार्टी के फोटो सोशल मीडिया पर उपलब्ध है। उनका कहना है कि इससे नदी के दूसरे तरफ के लोग वोटिंग के लिए मोटिवेट हुए हैं। ऑडिट किया जाना जरूरी है कि:- 
  • किस इलाके में वोट प्रतिशत बढ़ाने की जरूरत थी। 
  • किस इलाके में चुनाव के अधिकारियों ने इवेंट आयोजित किया। 
  • मतदान के लिए मोटिवेट करने हेतु जो कार्यक्रम किए गए क्या उनका कोई रिजल्ट निकला। 
चुनाव में जो खर्च हो रहा है वह पैसा प्रत्याशियों का नहीं, पॉलिटिकल पार्टियों का नहीं, पब्लिक का है। हिसाब होना चाहिए। 

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