MP NEWS - दिग्विजय सिंह भी प्रोपेगेंडा पॉलिटिक्स, वाह भई वाह, इलेक्शन के प्रेशर ने विचारधारा बदल दी

पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह सारी जिंदगी जिस पॉलिटिक्स का विरोध करते आए हैं इलेक्शन के प्रेशर में अब वही पॉलिटिक्स करने लगे हैं। मतदाताओं के बीच अपनी योग्यता और क्षमता बताने के बजाय, विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं। इंडियन पॉलिटिक्स के पावरफुल पहलवान श्री दिग्विजय सिंह जी को कांग्रेस में कभी कोई पछाड़ नहीं पाया, आज उनके बदलते हुए रंग देखिए:- 

विक्टिम कार्ड - जिसका दिग्विजय सिंह हमेशा विरोध करते थे

मुझ पर अमित शाह जी की इतनी कृपा रही और उनका मेरे प्रति इतना प्रेम है कि वो आए और मेरा जनाज़ा निकालने की बात कह गए। यानि मेरी अर्थी बीजेपी के नेता निकालना चाहते हैं!! और क्यों? क्योंकि मैं आप सबकी चिंता करता हूँ। (भावार्थ: देखो मुझ पर हमले हो रहे हैं, क्योंकि मैं आपका नेता हूं।)

इमोशनल ब्लैकमेलिंग - जिसे दिग्विजय सिंह ने राजनीति के लिए खतरनाक बताया था

मैं चाहता तो मना कर देता कि चुनाव नहीं लड़ूँगा लेकिन मेरे गृहक्षेत्र की जनता की उपेक्षा ने मुझे यह चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया। (जब टिकट मिला था तब कहा था कि पार्टी हाई कमान ने कहा है इसलिए चुनाव लड़ रहा हूं।) मैं आख़िरी दम तक आपके बीच आपकी लड़ाई लड़ता रहूँगा चाहे आप मुझे कंधे पर उठाएँ या सिर, आँखों पर बिठाएँ। अब आपकी मर्ज़ी है लेकिन मैं सदैव आप का था और रहूँगा। (बिल्कुल वही डायलॉग जो छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने बोला था।

उपरोक्त पंक्तियों श्री दिग्विजय सिंह के उस बयान का हिस्सा है जो उन्होंने X पर पोस्ट किया है। हमने श्री दिग्विजय सिंह के मूल बयान को इसी समाचार में संलग्न कर दिया है। सबसे नीचे जाकर पढ़ सकते हैं।
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दिग्विजय सिंह जिसके कंधे पर हाथ रख दें वह अपना कुर्ता धोता नहीं था

उल्लेख करना अनिवार्य है कि यह वही राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र है जहां पर पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह को राजा साहब कहा जाता है। 2019 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी तो यहां पर श्री दिग्विजय सिंह को दाता भी कहा गया। उनके सुपुत्र श्री जयवर्धन सिंह को " बाबा साहेब" कहा जाता है। 20 साल पहले इसी लोकसभा क्षेत्र में, राजा साहब श्री दिग्विजय सिंह के प्रति लोगों के मन में इतना आदर और सम्मान था कि श्री दिग्विजय सिंह जिस किसी के कंधे पर हाथ रख देते थे, वह उस कुर्ते को धोता नहीं था बल्कि चिरस्मरणीय यादगार के रूप में ट्रंक में संभाल कर रख देता था। आज हालात यह है कि इस राजगढ़ में श्री दिग्विजय सिंह को विलाप करना पड़ रहा है।

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