MP NEWS - जबलपुर के दोनों कमिश्नर्स को हाई कोर्ट की अवमानना का नोटिस

मध्य प्रदेश के जबलपुर में कमिश्नर के पद पर पदस्थ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री अभय वर्मा और नगर निगम कमिश्नर के पद पर सुश्री प्रीति यादव को हाईकोर्ट द्वारा अवमानना का नोटिस जारी किया गया है। मामला ट्रांसपोर्ट नगर में प्लॉट के आवंटन के विवाद से संबंधित है। हाईकोर्ट ने दोनों अधिकारियों को इस मामले के निराकरण के लिए निर्देशित किया था परंतु दोनों ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। अब दोनों अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी हो गया है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई पांच अप्रैल को निर्धारित की है। 

जबलपुर गुड्स ट्रांसपोर्ट (टेक्नीक) एसोसिएशन की अवमानना याचिका

उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने अक्टूबर 2023 को बहुचर्चित ट्रांसपोर्ट नगर चंडाल भाटा में वर्षों पुराने प्लाट आवंटन से जुड़े विवाद का निराकरण करने की जिम्मेदारी अब आयुक्त राजस्व संभाग जबलपुर को सौंपी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि आयुक्त संक्षिप्त जांच के बाद प्लाट के उपयुक्त हकदार तय करने के बाद रिपोर्ट निगमायुक्त को सौंपें। निगमायुक्त प्लाट पर अवैध कबजेधारियों और अतिक्रमणकारियों को हटाने के बाद संभागायुक्त की रिपोर्ट के अनुसार वास्तविक हकदार को प्लाट का आवंटन करें। कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया को अधिकतम चार माह में निपटाने के निर्देश दिए थे। तय समय में आदेश का पालन नहीं होने पर जबलपुर गुड्स ट्रांसपोर्ट (टेक्नीक) एसोसिएशन ने अवमानना याचिका दायर की।

गलत कब्जेधारियों से उक्त प्लाट खाली कराकर सही हकदार को दिए जाए

इसके पहले वर्ष 2019 में ट्रांसपोर्ट नगर व्यापारी संघ समिति के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल बबलू और जबलपुर गुड्स ट्रांसपोर्ट (टेक्नीक) एसोसिएशन के सचिव हरि सिंह ठाकुर व अन्य की ओर से दायर की गई थीं। दोनों याचिकाओं में ट्रांसपोर्ट नगर में प्लाट आवंटन का पुराना विवाद उठाया गया था। नगर निगम के इस्टेट ब्रांच की छह सदस्यीय समिति ने कुल 577 प्लाट की जांच की। इनमें से 572 निगम के और शेष पांच मप्र लघु उद्योग निगम के हैं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में प्लाट नंबर, क्षेत्रफल, कब्जाधारी और आवंटी के नाम का उल्लेख किया। निगम की उक्त रिपोर्ट पर कई आपत्तियां उठाई गईं। कुछ आपत्तिकर्ताओं का कहना है कि उक्त संगठनों के जिन पदाधिकारियों ने याचिकाएं दायर की हैं, वे वैधानिक आफिस बियरर्स नहीं हैं। मांग की गई थी कि गलत कब्जेधारियों से उक्त प्लाट खाली कराकर सही हकदार को दिए जाए। 

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