डॉक्यूमेंट में अस्पताल में भर्ती महिला शिक्षक भोपाल जेल में बंद मिली - MP karmchari news

Bhopal Samachar

दृश्य क्रमांक एक

मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। इन्हीं दिनों में शादी समारोह भी हैं और गर्मियों की छुट्टियां भी। इसलिए सरकारी कर्मचारी चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए कई तरह के बहाने भी बनाते हैं। कुल मिलाकर हर जिले में कलेक्टर और कर्मचारियों के बीच में चोर सिपाही का खेल चल रहा है। मध्य प्रदेश के सागर जिला भी इससे अछूता नहीं है। कलेक्टर ने कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी लगाई और कर्मचारियों ने ड्यूटी से बचने के लिए कई तरह के बहाने बनाए। बीना के बिहरना प्राइमरी स्कूल की हेडमास्टर भगवती ठाकुर की भी चुनाव में ड्यूटी लगाई गई थी। 

दृश्य क्रमांक 2

उनकी तरफ से कोई बहाना नहीं बनाया गया लेकिन महिला कर्मचारी चुनाव की ट्रेनिंग में उपस्थित नहीं हुई। कारण पूछा तो संकुल प्राचार्य ने बताया कि उनकी तबीयत खराब है और हमीदिया अस्पताल भोपाल में भर्ती हैं। संकुल प्राचार्य से बीमारी और भर्ती के डॉक्यूमेंट मांगे, लेकिन वह दे नहीं पाए। फिर कलेक्टर ने जांच के लिए एक टीम गठित कर दी। अब तक माना जा रहा था कि चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए महिला कर्मचारी बहाने बना रही है परंतु जब टीम ने तलाश किया तो पता चला कि महिला शिक्षक अस्पताल में भर्ती नहीं है बल्कि जेल में बंद है। 

कहानी का क्लाइमेक्स

दिनांक 21 मार्च 2024 को भोपाल पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। तभी से जेल में बंद है। नियमों के अनुसार यदि कोई शासकीय कर्मचारी 48 घंटे से अधिक समय तक जेल में बंद रहता है और उसे जमानत नहीं मिलती तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी जाती है एवं उसे निलंबित कर दिया जाता है परंतु इस मामले में उल्टा हुआ। डिपार्टमेंट के अधिकारी महिला कर्मचारी का साथ दे रहे हैं। महिला शिक्षक भोपाल जेल में बंद है लेकिन डॉक्यूमेंट में उसे भोपाल के अस्पताल में भर्ती बताया जा रहा है। 

समाचार से पैदा हुए सवाल

खुलासा हो गया है। अब देखना यह है कि सागर की जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर, उन अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं जिन्होंने जेल में बंद महिला कर्मचारी को अस्पताल में भर्ती बताया है। यदि चुनाव नहीं होते तो कभी पता नहीं चल पाता कि सागर जिले में जेल में बंद कर्मचारियों को अस्पताल में भर्ती बताया जाता है। निश्चित रूप से यह पहला मामला नहीं रहा होगा। जांच होना जरूरी है कि कल ऐसे कितने मामले हैं और इस प्रकार की गतिविधियों में संलिप्प्ट अधिकारी और क्या-क्या कर रहे हैं।

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