BHOPAL NEWS - जेपी हॉस्पिटल में विकास लावारिस हो गया, अत्याधुनिक मशीन है लेकिन ऑपरेटर नहीं

ऐसा विकास किस काम का, अत्याधुनिक मशीन खरीद लो लेकिन उसे चलाने के लिए प्रशिक्षित ऑपरेटर नहीं है। नौ सिखिए काम कर रहे हैं, अस्पताल के डॉक्टरों को ही उनके काम पर भरोसा नहीं है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सबसे बड़े सरकारी जिला अस्पताल, जेपी हॉस्पिटल में कुछ ऐसा ही हो रहा है। यहां पर सोनोग्राफी मशीन तो है लेकिन उसे ऑपरेट करने के लिए रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। 

MP NEWS - स्वास्थ्य विभाग को मरीजों की नहीं डॉक्टर की चिंता है

भोपाल के जयप्रकाश चिकित्सालय में सोनोग्राफी मशीन को जब लाया गया था तब बड़ी तालियां बजवाई गई थी। कहा था कि सरकार को जनता की बड़ी चिंता है। अब ₹2000 की सोनोग्राफी जेपी हॉस्पिटल कैंपस में मात्र ₹350 में हो जाएगी। सरकार की इस लाडली सोनोग्राफी मशीन को लावारिस हुए 1 वर्ष हो गया। इससे पहले यहां पर दो रेडियोलॉजिस्ट थे। इनमें से एक डॉक्टर आरके गुप्ता ने VRS ले लिया। मध्य प्रदेश शासन के नियम अनुसार अकेले जिम्मेदार अधिकारी को ट्रांसफर का लाभ नहीं दिया जाता परंतु डॉक्टर नितिन पटेल को ट्रांसफर का लाभ दिया गया और इस प्रकार जयप्रकाश चिकित्सालय की सोनोग्राफी मशीन लावारिस हो गई। 

BHOPAL NEWS - जेपी हॉस्पिटल की सोनोग्राफी मशीन खिलौना बन गई

खानापूर्ति करने के लिए एक आउटसोर्स रेडियोलॉजिस्ट नियुक्त किया गया है। वह दिन में केवल 2 घंटे सेवाएं देता है। इसके अलावा मशीन पूरे दिन भर पीजी स्टूडेंट्स के हवाले रहती है। डॉक्टर चुपके से सलाह देते हैं कि सही रिपोर्ट चाहिए तो बाहर चले जाना, फिर भी मरीज नहीं मानते, क्योंकि ₹2000 और 350 रुपए में 1650 रुपए का अंतर होता है, और यह रकम अस्पताल में आने वाले मरीजों की 5 दिन की कमाई के बराबर है। वह लाइन लगाकर खड़े रहते हैं। हर सफेद कोट पर भरोसा करते हैं। कई बार डॉक्टर काम चला लेते हैं लेकिन कभी-कभी रिपोर्ट इतनी गड़बड़ होती है कि, डॉक्टर को बाहर से सोनोग्राफी करवाने के लिए जोर देकर कहना पड़ता है। मरीज को असलियत बतानी पड़ती है। 

यदि कोई मरीज किसी डॉक्टर को आंख दिखा दे तो सारे डॉक्टर हड़ताल कर बैठे हैं लेकिन यहां गर्भवती माता और गर्भस्थ शिशु की जान से खिलवाड़ हो रहा है, किसी को कोई फिक्र नहीं है। डा. राकेश श्रीवास्तव, सिविल सर्जन, जेपी अस्पताल का कहना है कि, विभाग को पत्र लिखकर रेडियोलाजिस्ट के खाली पद को भरने का प्रस्ताव भेजा गया है"। इतने भर से डॉक्टर श्रीवास्तव का कर्तव्य पूरा हो जाता है। सवाल यह है कि डॉक्टर पटेल का ट्रांसफर निरस्त क्यों नहीं किया गया। डॉक्टर पटेल को वापस बुलाने के लिए क्यों नहीं लिखा गया। जब तक नई नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक डॉक्टर गुप्ता को VRS क्यों दिया गया। 

विनम्र अनुरोध 🙏कृपया हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। सबसे तेज अपडेट प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें एवं हमारे व्हाट्सएप कम्युनिटी ज्वॉइन करें। इन सबकी डायरेक्ट लिंक नीचे स्क्रॉल करने पर मिल जाएंगी। भोपाल के महत्वपूर्ण समाचार पढ़ने के लिए कृपया स्क्रॉल करके सबसे नीचे POPULAR Category में Bhopal पर क्लिक करें।
Tags

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !