मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में लोग हाउसिंग बोर्ड और भोपाल विकास प्राधिकरण के मकान इसलिए खरीदते हैं क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि सरकारी एजेंसी है। प्रॉपर्टी के मामले में कोई गड़बड़ नहीं होगी लेकिन न केवल बड़ी गड़बड़ी सामने आई है बल्कि उपभोक्ता फोरम में प्रमाणित भी हो गई है।
हाउसिंग बोर्ड के नए मकान का प्लास्टर बढ़ गया था, टाइल्स टूटी थी
श्री बीएस शर्मा और नैनिका शर्मा विरुद्ध मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड भोपाल मामले में जिला उपभोक्ता आयोग ने हाउसिंग बोर्ड को दोषी माना है। इस मामले में फरियादिश्री शर्मा ने बताया कि उन्होंने एमेरल्ड पार्क सिटी में सी-242 मकान खरीदा था। 22 दिसंबर 2006 को प्रकाशित विज्ञापन में एवं हाउसिंग बोर्ड द्वारा दिए गए ब्रोशर में मकान का निर्माता क्षेत्रफल 173.70 वर्ग मीटर था लेकिन दिनांक 15 MAY 2023 को जब मकान का आधिपत्य मिला तो उसका निर्मित क्षेत्रफल केवल 103.75 वर्ग मीटर था। यानी पूरा 70 वर्ग मीटर गायब था। सिर्फ इतना ही नहीं दीवार और छठ का प्लास्टर उखड़ गया था और टाइल्स भी टूटी हुई थी।
भोपाल जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष श्री योगेश दत्त शुक्ला और सदस्य सुश्री प्रतिभा पांडे की बेंच नंबर एक में इस मामले में फैसला सुनाया। उन्होंने हाउसिंग बोर्ड को दोषी मानते हुए मकान में कम निर्माण करने के लिए ₹6.90 लाख और मकान में रिनोवेशन करवाने के लिए 15.95 लाख रुपए, उपभोक्ता को अदा करने का आदेश दिया। इसके अलावा उपभोक्ता को हुए मानसिक कष्ट के लिए ₹10000 हर्जाना भी लगाया। यह केवल एक मामला नहीं है। एक अन्य मामले में उपभोक्ता श्री मनोहर बुधवानी के मकान में घटिया निर्माण पाया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग ने हाउसिंग बोर्ड को आवेशित किया है कि वह उपभोक्ता श्री मनोहर बुधवानी को 9.90 लाख रुपए अदा करें ताकि वह अपने मकान का रिनोवेशन करवा सकेंगे।
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