मध्य प्रदेश में सिर्फ आपदा को ही नहीं बल्कि हर काम को भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का अवसर बना दिया जाता है। ताजा मामला मध्य प्रदेश की सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों का है। उनकी नसबंदी में भी घोटाला हो गया। मध्य प्रदेश में आवारा कुत्तों की संख्या 1 लाख है और सरकार ने ढाई लाख कुत्तों की नसबंदी कर दी। यह क्रम लगातार जारी है। एंटी रेबीज वैक्सीन घोटाला भी सामने आया है। कुत्ते तो बता नहीं सकते लेकिन आंकड़े बता रहे हैं की गड़बड़ी हुई है। इन गड़बड़ियों का परिणाम यह है कि, साल 2023 में मध्य प्रदेश के 5 लाख लोगों को कुत्तों ने काट लिया। यदि आज भी आपने इस मुद्दे पर अपनी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित नहीं की तो यकीन मानिए आने वाले साल में आपको या आपके परिवार में किसी भी परिजन को कुत्ता काट सकता है।
नसबंदी के बाद भी कुत्तों की आबादी क्यों बढ़ रही है
मध्य प्रदेश में सन 2019 में हुई पशु गणना में आवारा कुत्तों की संख्या एक लाख बताई गई थी। इन सबकी नसबंदी हो गई थी। इसके बाद ढाई लाख कुत्तों की नसबंदी और हुई, और नसबंदी का क्रम लगातार जारी है। सवाल यह है कि जब कुत्तों की नसबंदी हो गई है तो फिर उनकी संख्या कैसे बढ़ रही है। या तो बड़े पैमाने पर नसबंदी फेल हो रही है या फिर सिर्फ डॉक्यूमेंट में नसबंदी की जा रही है। कुत्तों को पता ही नहीं है कि सरकार ने उनकी नसबंदी कर दी है। वह अपना काम कर रहे हैं और सरकार हर साल उनकी नसबंदी कर रही है। कृपया नोट करें कि मध्य प्रदेश में प्रत्येक नसबंदी के लिए 925 रुपए का भुगतान किया जाता है और यह काम प्राइवेट एजेंसी द्वारा किया जाता है। नगर निगम के अधिकारी जितनी संख्या वेरीफाई कर देते हैं, उतना भुगतान हो जाता है क्योंकि कुत्ते तो शिकायत करने आ नहीं सकते।
सरकारी आंकड़े ऑथेंटिक नहीं है, हम तो मानकर चलते हैं: नगर निगम
पशुगणना के आंकड़े और नसबंदी के आंकड़ों में अंतर पर हमने भोपाल नगर निगम के वेटरनरी अधिकारी डॉ एस के श्रीवास्तव से सवाल किया तो जवाब मिला कि सरकार के पशुगणना के आंकड़े ऑथेंटिक नहीं है। उनकी प्रक्रिया भी ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक 16 व्यक्तियों पर एक डॉग होता है। हम भी यही मानकर चलते हैं।
2023 - मध्य प्रदेश में 5.50 लाख से ज्यादा लोगों को कुत्तों ने काटा
भोपाल समाचार डॉट कॉम के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार साल 2023 में 559973 लोगों को आवारा कुत्तों ने काट लिया था। डॉग बाइट का यह आंकड़ा केवल सरकारी रिकॉर्ड से आया है। यहां एक और बिंदु ध्यान देने वाला है। जब राज्यसभा में प्रश्न किया गया था तो मध्य प्रदेश सरकार ने बताया था कि पिछले 5 साल में 9.62 लाख डॉग बाइट के केस रजिस्टर्ड हुए हैं जबकि रेबीज के इंजेक्शन का रिकार्ड बताता है कि साल 2023 में 559973 लोगों को रैबिज के इंजेक्शन लगाए गए।
एंटी रेबीज वैक्सीन घोटाला भी डॉग बाइट का कारण
आवारा कुत्तों को लगाए जाने वाली एंटी रेबीज वैक्सीन मामले में भी बड़ी गड़बड़ी है। पशु चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर अमित शर्मा कहते हैं कि यदि किसी कुत्ते को एंटी रेबीज की वैक्सीन लगाना बंद कर दिया जाए तो उसका व्यवहार बदल जाता है और वह सामान्य से हिंसक हो जाता है। डॉग बाइट का एक कारण समय पर एंटी रेबीज वैक्सीन का नहीं लगना भी हो सकता है। इसका तात्पर्य है कि मध्य प्रदेश में आवारा कुत्तों को नियमित रूप से एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं लगाई जा रही है। इसके कारण वह हिंसक होते जा रहे हैं।
डॉग बाइट की बढ़ती घटनाओं के लिए पशु प्रेमी भी जिम्मेदार
मध्य प्रदेश में डॉग बाइट की बढ़ती घटनाओं के लिए पशु प्रेमी भी जिम्मेदार हैं। मध्य प्रदेश की ज्यादातर पशु प्रेमी, पशुओं पर आम नागरिकों द्वारा की जाने वाली हिंसा के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन करते हैं परंतु पशुओं के लिए संचालित सरकारी योजना के क्रियान्वयन के मामले में, उनकी सक्रियता गायब हो जाती है। यदि पशु प्रेमी सक्रिय हो जाए तो कम से कम एंटी रेबीज वैक्सीनेशन नियमित रूप से हो जाएगा और आवारा कुत्तों के हिंसक होने का एक कारण काम हो जाएगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि, पब्लिक में हंगामा करके अपनी पहचान बनाते हैं और फिर एंटी रेबीज वैक्सीनेशन जैसे कार्यक्रमों में अपने कट की वसूली करने लगते हैं।
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