मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले की जनपद पंचायत जतारा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना के मामले में उच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश पंचायत राज संचालनालय भोपाल के आयुक्त से पूछा है कि, हाई कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। कोर्ट में आयुक्त को आदेशित किया है कि वह व्यक्तिगत शपथ पत्र पर जवाब प्रस्तुत करें।
कर्णपाल सिंह बनाम सीईओ जनपद पंचायत जतारा
याचिकाकर्ता टीकमगढ़ निवासी कर्णपाल सिंह की ओर से अधिवक्ता अरविंद कुमार पाठक ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता को ग्राम पंचायत बनगाय से जनपद पंचायत जतारा अटैच कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने 2022 को इस आदेश को निरस्त कर नया आदेश जारी करने कहा था। सीईओ ने हाई कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करते हुए कहा कि चूंकि मामला निरस्त हो गया है, इसलिए याचिकाकर्ता को दोबारा जतारा में ही अटैच करने का आदेश जारी कर दिया।
सीईओ जतारा, हाई कोर्ट में हाजिर हो
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि सीईओ ने दुर्भावनावश कोर्ट आदेश की अनुचित व्याख्या करते हुए याचिकाकर्ता को दोबारा उसी जगह अटैच किया है, जो कि अवमानना की श्रेणी में आता है। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने सीईओ जतारा, टीकमगढ़ को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सीईओ के आदेश पर अंतरिम रोक भी लगा दी है।
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