मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में 65 अधिवक्ताओं को हाई कोर्ट की अवमानना का नोटिस दिया गया है। इसी के साथ सिवनी जिला भारत संगठन की निर्वाचित कार्यकारिणी भंग कर दी गई है। मध्य प्रदेश के इतिहास में अधिवक्ताओं के खिलाफ इतनी बड़ी और कड़ी कार्रवाई, इससे पहले शायद नहीं हुई होगी।
फ्लैशबैक - क्या हुआ था जो इतनी कड़ी कार्रवाई हो गई
जिला एवं सत्र न्यायालय को नागपुर रोड बीज निगम की भूमि पर स्थानांतरित करने का प्रस्ताव राज्य शासन को भेज दिया गया था। जहां से वह मंजूर भी हो गया। अधिवक्ताओं का मत था कि कलेक्ट्रेट और जिला न्यायालय पास-पास होना चाहिए। अगर जिला न्यायालय नागपुर रोड जा रहा था तो नवीन कलेक्ट्रेट जो अभी बन रहा है। उसे भी नागपुर रोड ही भेज देना चाहिए था। इसमें वकीलों ने तर्क दिया था कि इससे न केवल अधिवक्ताओं को बल्कि पक्षकारों को भी सहूलियत होगी। जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों ने जिला न्यायालय के स्थान परिवर्तन के विरोध में हड़ताल कर दी थी।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी हड़ताल पर डटे हुए थे
जबलपुर स्थित हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश ने इस मामले में एक जनहित याचिका के बाद सिवनी जिले में वकीलों की हड़ताल को असंवैधानिक करार दे दिया था। जबलपुर उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी लगभग 95 अधिवक्ताओं ने आवेदन देकर हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया। तो जबलपुर उच्च न्यायालय ने 65 अधिवक्ताओं को न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी कर समक्ष उपस्थित होने का आदेश दे दिया।
30 अधिवक्ताओं के हस्ताक्षरों की पहचान बाकी
साथ ही 30 अधिवक्ताओं के हस्ताक्षर की पहचान की जा रही है। इसके बाद इन वकीलों को भी नोटिस जारी किए जाएंगे। इस मामले का कोई हल निकले इसलिए सिवनी जिले से लगभग 10-11 अधिवक्ता जबलपुर उच्च न्यायालय गए थे लेकिन पोर्टफोलियो जज विशाल धगट पहले ही अवकाश पर चले गए थे। चीफ जस्टिस रवि मलिमथ ने सिवनी जिले से गए अधिवक्ताओं को मिलने का समय नहीं दिया। इस कारण कोई बातचीत नहीं हो सकी।