जब तक दो या दो से अधिक व्यक्ति के बीच मे कोई अपराध करने का समझौता नहीं हुआ हो वह अपराध नहीं होता है। इस संबंध में कोर्ट के महत्वपूर्ण जजमेंट जानिए:-
1. मोहम्मद हुसैन बनाम दिलीप सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभिनिर्धारित किया कि दो या अधिक व्यक्तियों में आपस में समझौता होना ही आपराधिक षड्यंत्र का प्रमुख तत्व है लेकिन समझौते में अवैध कार्य का होना अति आवश्यक है।
2. कुरुचियन बनाम केरल राज्य में न्यायालय ने कहा कि दो या अधिक व्यक्तियों के साथ समझौता करना अपराध का पर्याप्त आधार नहीं है, जब तक यह साबित नहीं होता कि समझौता किसी अवैध कार्य के लिए हुआ था।
इसी प्रकार एक महत्त्वपूर्ण निर्णय:-
सुमेरमल बनाम त्रिपुरा वाद में आरोपी केवल दूसरे आरोपी के साथ बैठा था और यह सबित नहीं हुआ था कि उनके बीच कोई आपराधिक षड्यंत्र किया गया है इसलिए न्यायालय ने आरोपी को आपराधिक षड्यंत्र का दोषी नहीं माना।
इसी प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी व्यक्ति को आपराधिक षड्यंत्र का दोषी तभी माना जाता है जब उनके बीच में अवैध कार्य के लिए कोई समझौता हुआ हो। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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