Madhya Pradesh Public Service Commission Indore द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा 2019, मध्य प्रदेश की सबसे विवादित भर्ती परीक्षा में से एक है। नियुक्ति के बाद भी विवाद निरंतर जारी है। अब एक कैंडिडेट आकाश पाठक ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा लगाए गए नार्मलाइजेशन को चैलेंज किया है। हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर दिया है जिसके अनुसार एमपीपीएससी 2019 के तहत हुई सभी प्रकार की नियुक्तियां आकाश पाठक की याचिका के निर्णय के अध्यधीन रहेंगी।
रिजल्ट का नार्मलाइजेशन करना था, एमपी पीएससी वालों ने परीक्षा का नार्मलाइजेशन कर दिया
एमपीपीएससी 2019 के अंतिम परिणाम को प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में चुनौती दी गई है। याचिका में दावा किया गया है कि, मध्य प्रदेश पीएससी द्वारा 29 नवंबर 2022 को हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का उल्लंघन किया गया है। अभ्यर्थी आकाश पाठक ने बताया कि मामला नार्मलाइजेशन को लेकर है। मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग को हाई कोर्ट के आदेशानुसार पूर्व में आयोजित 2019 मुख्य परीक्षा के परिणाम एवं विशेष मुख्य परीक्षा का परिणाम, इन दोनों लिस्ट को मिलाकर अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित करना था, लेकिन लोकसेवा आयोग द्वारा दोनों परिणाम का नार्मलाइजेशन न करते हुए दोनों मुख्य परीक्षा में नार्मलाइजेशन कर दिया गया।
गलत नॉर्मलाइजेशन करके 389 अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया
इसके कारण पूर्व में साक्षात्कार के लिए चयनित 389 अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया, साथ ही पूर्व में घोषित प्रथम मुख्य परीक्षा परिणाम में असफल सैकड़ों अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया गया। यह हाई कोर्ट द्वारा 29 नवंबर 2022 को जारी फैसले के विरुद्ध है।
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