एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस नाम की संस्था द्वारा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका क्रमांक 30853/2023 दाखिल की गई है। इस याचिका की आज दिन अंक 17 फरवरी 2024 को मुख्य न्यायमूर्ति श्री रवि मालिमठ तथा जस्टिस श्री विशाल मिश्रा की खंडपीठ द्वारा सुनवाई की गई।
गरीबी का प्रमाण पत्र केवल सामान्य वर्ग को
याचिका में उठाए गए मुद्दों के संदर्भ में कोट द्वार सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ द्वारा जनित अभियान बनाम भारत संघ मामले में पारित फैसला दिनांक 7 नवंबर 2022 का परीक्षण किया। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि, उक्त फैसले में संविधान में किए गए संशोधन की वैधानिकता को अपहेल्ड किया गया है। जिसका समर्थन याचिकाकर्ता करता है लेकिन संविधान के उक्त संशोधन की मूल भावना के विरुद्ध भारत सरकार द्वारा दिनांक 17 फरवरी 2019 को ऑफिसमेमोरेंडम (policy) जारी की गई है, जिसमें गरीबी का प्रमाण पत्र केवल सामान्य वर्ग को ही जारी किए जाने की दिशा निर्देश दिए गए हैं, जबकि 103 में संविधान संशोधन में प्रत्येक वर्ग के गरीबों को EWS आरक्षण का लाभ दिए जाने का प्रावधान है।
संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (5) एवं 16(6) के विपरीत
न्यायालय को बताया गया कि भारत सरकार की ओर से जारी ऑफिस मेमोरेंडम को आज दिनांक तक किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी गई है। ना ही उक्त संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की संविधान पीठ ने अपना कोई स्पष्ट अभी मत दिया है, तथा भारत सरकार के ऑफिस मेमोरेंडम में जाति के आधार पर गरीबों में भी भेदभाव करने की बात कही गई है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (5) एवं 16(6) के विपरीत है। हाई कोर्ट ने उक्त तर्कों को बेहद गंभीरतापूर्वक लेते हुए भारत सरकार को नोटिस जारी करके 6 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं अधिवक्ता श्री विनायक प्रसाद शाह, अधिवक्ता श्री परमानंद साहू एवं अधिवक्ता श्री पुष्पेंद्र कुमार शाह ने पैरवी की।
जनहित याचिका के मुख्य बिंदु
- भारत सरकार द्वारा जारी EWS आरक्षण लागू किए जाने की नीति संविधान के अनुच्छेद 15(6) एवं 16(6) से असंगत है।
- EWS नीति में OBC/SC/ST को लाभ से वंचित किया जाना अनुच्छेद 14 के विरूध है।
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित फैसला में भारत सरकार की नीति दिनांक 17/01/19 का परीक्षण नहीं किया गया।
- EWS आरक्षण स्पेशल रिजर्वेशन है जिसे, वर्टीकल लागू किया जाना है असंवैधानिक है। इसे होरीजोंटल लागू किया जाना औऱ संविधान की मूल भावना के विपरीत भी है।
- EWS से संबंधित भारत सरकार की नीति गरीबो में जातीय आधार पर भेदभाव करने वाली है।
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