Madhya Pradesh State Information Commission, Bhopal की ओर से ग्वालियर नगर पालिक निगम के लोक सूचना अधिकारी एवं एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को अंतिम चेतावनी जारी की है। 5 फरवरी तक का समय दिया गया है। यदि जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई तो वारंट जारी किया जाएगा। अधिकारी पर आरोप है कि वह ठेकेदार को उसके बल और पेमेंट की जानकारी नहीं दे रहे हैं।
RTI ACT - विमल जैन ठेकेदार विरुद्ध नगर पालिक निगम ग्वालियर
भोपाल के विमल जैन ने ग्वालियर नगर पालिका निगम में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दो आवेदन प्रस्तुत करके अपने बिल के भुगतान संबंधी जानकारी मांगी थी। विमल जैन का कहना है कि उन्होंने ग्वालियर नगर निगम में ठेकेदार के रूप में 20 साल पहले काम किया था। तब से लेकर अब तक उनके किए गए काम का पूरा पेमेंट उन्हें नहीं दिया गया। विमल जैन कहा कि जब उन्होंने अपना हिसाब किताब क्लियर करने के लिए कहा तो विभाग से जुड़े हुए कुछ अपराधियों ने धमकाना शुरू कर दिया।
नगर निगम वालों के कारण ग्वालियर छोड़कर भोपाल रहना पड़ रहा है
आयोग के समक्ष सुनवाई में जैन ने कहा कि पेमेंट नहीं मिलने की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो गई और उन्हें ग्वालियर छोड़कर भोपाल में रहना पड़ रहा है। लगातार ग्वालियर नगर निगम कार्यालय भी उन्हें पेमेंट देने के लिए पत्राचार भी कर रहा है पर विमल जैन जब भी ग्वालियर कार्यालय जाते हैं तो उन्हें सहयोग नहीं किया जाता है और अधिकारी फाइल या दस्तावेज नहीं मिलने की बात करके उन्हें वापस भेज देते हैं।
एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, ना आयुक्त का आदेश मानता है ना राज्य सूचना आयोग का
सितंबर 2022 में जैन ने आरटीआई लगाकर के जानकारी मांगी थी लेकिन लोक सूचना अधिकारी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ग्वालियर नगर निगम ने जानकारी नहीं दी। बाद में प्रथम अपीलीय अधिकारी आयुक्त नगर पालिका निगम ग्वालियर ने सात दिनों में जानकारी देने की आदेश जारी किया, लेकिन आदेश का पालन नहीं किया गया। इसके बाद राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ग्वालियर नगर पालिका निगम के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को 15/9/2023, 2/11/2023, 4/01/2024 और 19/01/2024 को विमल जैन से जुड़े सभी दस्तावेज आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा। पर इसके बावजूद कोई भी दस्तावेज ग्वालियर नगर निगम ने आयोग के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया।
इस बार जानकारी नहीं दी तो वारंट जारी होगा
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जारी आदेश में कहा कि सूचना आयोग के आदेशों की लगातार अवहेलना गंभीर विषय है। सिंह ने एक और अंतिम मौका दिनांक 5/02/2024 को ग्वालियर नगर निगम को जानकारी आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए दिया है। साथ ही राहुल सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि सूचना आयोग का आदेश संबंधित अधिकारी पर बंधनकारी है और लगातार आदेश की अवेहलना से स्पष्ट है कि अधिकारी जानबूझकर जानकारी को छुपाना चाहते हैं। सिंह ने कहा है कि अगर आगामी तिथि में भी आयोग के आदेश की अवमानना करते हुए जानकारी प्रस्तुत नहीं की गई तो आयोग, दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए जमानती वारंट (bailable warrant) संबंधित अधिकारी के विरुद्ध जारी करने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
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मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग के बारे में
"मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग एक स्वायत्त और विधायिक निकाय है जो 2005 के राइट टू इन्फॉर्मेशन एक्ट के अनुसार मध्य प्रदेश राज्य सरकार द्वारा एक अधिसूचना के माध्यम से गठित किया गया है। राज्य सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) और 10 से अधिक राज्य सूचना आयुक्त (आईसी) होंगे, जो कि मुख्यमंत्री के अध्यक्षता में एक समिति की सिफारिश पर राज्यपाल द्वारा नियुक्त किए जाएंगे, जिसमें मुख्यमंत्री अध्यक्ष, विधानसभा में विपक्ष के नेता और मुख्यमंत्री द्वारा नामित एक राज्य कैबिनेट मंत्री शामिल है।"