Legal general knowledge and law study notes
विकृत-चित्त (पागल) व्यक्ति वह व्यक्ति होता हैं जो मानसिक विकृति से पीड़ित होता है, इन व्यक्तियों को अच्छे-बुरे, सही-गलत में अन्तर समझ नहीं आता है। यह चार अवस्था में हो सकते हैं-
(1). जड़-बुद्धि व्यक्ति(जन्म से ही पागल हो)।
(2). विक्षिप्त व्यक्ति(बीच-बीच में पागलपन के दौरे आना)।
(3). मानसिक दौर्बल्य(लंबी बीमारी के कारण पागल हो जाना)।
(4). मानसिक बीमारी।
उपर्युक्त व्यक्ति को दण्ड संहिता में विकृत-चित(पागल) व्यक्ति कहा गया है इनके द्वारा किया गया अपराध कब क्षमा योग्य होगा जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 22, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 84 की परिभाषा
कोई विकृत-चित व्यक्ति द्वारा किया गया अपराध अपराध नहीं माना जायेगा क्योंकि ऐसे व्यक्ति को अच्छे-बुरे की पहचान नहीं होती है न ही उनको कोई समझने की शक्ति होती है इस लिए ऐसे व्यक्ति द्वारा किया गया अपराध IPC की धारा 84 एवं BNS की धारा 22 के अंतर्गत क्षमा योग्य होगा।
नोट:- शराब या नशीली चीज(गांजा, ड्रग्स आदि) करके किया गया अपराध किसी भी प्रकार से क्षमा योग्य नहीं है।
The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 22, Indian Penal Code, 1860 section 84 Punishment
सुप्रीम कोर्ट ने 2001 में एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि आईपीसी की धारा 84 का लाभ पाने के लिए आरोपी को यह साबित करना होगा कि वह उस समय ऐसा कार्य करने के लिए अपने मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के कारण अयोग्य था। न्यायालय ने कहा कि यह साबित करने के लिए आरोपी को पर्याप्त सबूत प्रस्तुत करने होंगे। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 , इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com