मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिए उज्जैन की दक्षिण विधानसभा से विधायक डॉ मोहन यादव का नाम घोषित होने के बाद से लेकर अब तक सभी हतप्रभ हैं। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे जितने चौंकाने वाले थे, यह फैसला उससे ज्यादा चौंकाने वाला निकला। अब लोग यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि, जो मोहन यादव चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी के नजदीक तक नहीं जा पाए, वह मुख्यमंत्री कैसे बन गए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को डॉ मोहन यादव का नाम किसने बताया और क्या डॉक्टर यादव को सब कुछ पहले से पता था।
डॉ मोहन यादव कच्चे खिलाड़ी नहीं है
भाजपा के सूत्र बताते हैं कि डॉ मोहन यादव कच्चे खिलाड़ी नहीं है। शिवराज सरकार के समय डॉक्टर यादव के पास उच्च शिक्षा मंत्रालय था। मध्य प्रदेश में कहते हैं कि उच्च शिक्षा मंत्रालय कांटों का ताज होता है। कैबिनेट मंत्री एक प्रोफेसर का भी ट्रांसफर नहीं कर पाता, लेकिन डॉक्टर मोहन यादव ने अपना मंत्रालय अपने तरीके से चलाया। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी मंत्रालय में दखलअंदाजी की परंतु डॉक्टर मोहन यादव के उच्च शिक्षा मंत्रालय में वह कोई दखल नहीं दे पाए। एक दो बार उन्होंने प्रयास भी किया परंतु डॉ मोहन यादव ने उनकी घोषणाओं और आदेशों पर अमल ही नहीं होने दिया।
डॉ मोहन यादव, शिवराज सिंह विरोधी की छवि का फायदा उठाया
उज्जैन की राजनीति करने के कारण डॉ मोहन यादव, श्री कैलाश विजयवर्गीय के संपर्क में थे। श्री विजयवर्गीय के कारण ही डॉ मोहन यादव उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष बने थे। श्री विजयवर्गीय से नजदीकी के कारण ही डॉ मोहन यादव की छवि शिवराज सिंह विरोधी नेता की हो गई थी। हालांकि उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए कभी भी श्री कैलाश विजयवर्गीय के प्रति अपनी निष्ठा प्रकट नहीं की, परंतु उन्हें श्री कैलाश विजयवर्गीय की टीम का सदस्य माना जाता रहा, और वर्तमान निर्णय में शिवराज विरोधी छवि का उन्हें फायदा मिला।
चाणक्य की भूमिका में संघ के सुरेश सोनी थी
इस पूरे घटनाक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री सुरेश सोनी, चाणक्य की भूमिका में थे। उन्हें पता था कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश में किसी नए चेहरे की तलाश कर रहे हैं। उनके पास वह प्रश्नावली भी थी जिसके उत्तर खोजे जा रहे थे।
पिछड़ा वर्ग का नेता होना चाहिए।
- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति निष्ठावान होना चाहिए।
- शिवराज सिंह चौहान का समर्थन नहीं होना चाहिए।
- उसका अपना कोई गुट नहीं होना चाहिए।
- अनुभवी होना चाहिए जिसे ब्यूरोक्रेट्स को कंट्रोल करना आता हो।
- जातिवादी नहीं होना चाहिए, लेकिन जाति का प्रतिनिधि होना चाहिए।
- क्राइम रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए विवादित छवि नहीं होनी चाहिए।
- परिवार के किसी सदस्य के साथ कोई विवाद नहीं जुड़ा होना चाहिए।
- खेती किसानी वाला बैकग्राउंड हो तो और ज्यादा अच्छा है।
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श्री सुरेश सोनी ने इन सभी प्रश्नों के उत्तर में सिर्फ एक नाम आगे बढ़ाया। सूत्रों का कहना है कि, सबसे पहले डॉ मोहन यादव ने श्री सुरेश सोनी से चर्चा की। बताते हैं कि दोनों के बीच में काफी अच्छे संबंध है। इसके कारण डॉ यादव का नाम श्री सुरेश सोनी के ध्यान में आ गया।
- श्री सुरेश सोनी, सबसे पहले जेपी नड्डा से मिले। डॉ मोहन यादव, श्री जेपी नड्डा से पहले ही बात कर चुके थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दिनों से डॉ मोहन यादव, श्री जेपी नड्डा के संपर्क में है।
- अब अमित शाह की बारी थी। डॉ यादव का अमित शाह से कोई संपर्क नहीं था। इस काम में दतिया से चुनाव हारे पूर्व गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा काम आ गए। डॉ यादव और डॉ मिश्रा की पुरानी दोस्ती है। जैसे एक सास की दो बहुएं, अक्सर एक दूसरे से अपने दिल की बात कर लेती हैं। डॉ यादव और डॉ मिश्रा के बीच की दोस्ती कुछ ऐसी ही थी।
- जब श्री सुरेश सोनी ने श्री अमित शाह से बात की तो, तब तक सब कुछ योजना के अनुसार हो चुका था।
जानबूझकर तीसरी पंक्ति में जाकर खड़े हुए
भाजपा के सूत्रों का कहना है कि जब डॉ मोहन यादव उज्जैन से विधायक दल की बैठक के लिए रवाना हो रहे थे तब तक उन्हें सब कुछ पता चल चुका था। उन्होंने किसी को भनक तक नहीं लगने दी। बाबा महाकाल को साष्टांग किया और उज्जैन से भोपाल के लिए रवाना हो गए। मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा मंत्री थे। पहली बार के विधायक नहीं थे लेकिन जानबूझकर तीसरी पंक्ति में जाकर खड़े हुए, ताकि वह संदेश जाए, जो भारतीय जनता पार्टी की तरफ से जाना जरूरी है।
डॉ मोहन यादव की विशेषताएं
- डॉ मोहन यादव उज्जैन से आते हैं परंतु बम बम भोले वाले नेता नहीं है।
- बचपन खेती किसानी में गुजारा है। अच्छा बीज और खरपतवार पहचाना आता है।
- बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने का गुर भी जानते हैं।
- राजनीति विज्ञान से MA पढ़ाई मन लगाकर की है। 17 साल की उम्र से सक्रिय हो गए थे और आज तक असफल नहीं हुए हैं।
- एलएलबी की डिग्री हासिल की है और कोर्ट में वकालत भी की है। नियम कानून सब जानते हैं।
- MBA की पढ़ाई भी मन लगाकर की, अपनी मार्केटिंग कहां, कब और किसके सामने करना है अच्छी तरह से समझते हैं।
- PHd कर चुके हैं यानी किसी भी सब्जेक्ट पर रिसर्च करना भी आता है।
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