मध्य प्रदेश में अधिकारियों की योग्यता के कारण कई तरह की गड़बड़ियां हो रही है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के डिवीजन क्रमांक 21 सनावद संभाग कार्यालय में कार्यपालन यंत्री की योग्यता के कारण कर्मचारियों के भविष्य निधि खातों में से 3 करोड रुपए गायब हो गए। जांच करने पर पता चला कि उनके विश्वासपात्र क्लार्क और कंप्यूटर ऑपरेटर ने कर्मचारियों का पैसा अपने बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया।
जी पीएफ घोटाले के लिए कार्यपालन यंत्री जिम्मेदार
मध्य प्रदेश शासन ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के डिवीजन क्रमांक 21 सनावद संभाग कार्यालय में आहरण-संवितरण का अधिकार कार्यपालन यंत्री को दिया था, परंतु कार्यपालक यंत्री आरोग्य थे। उन्हें कंप्यूटर ऑपरेट करना नहीं आता था। इस बात की जानकारी उन्होंने शासन को नहीं दी बल्कि शासन से मिले यूजर आईडी पासवर्ड अपने विश्वासपात्र क्लर्क और कंप्यूटर ऑपरेटर को दे दिए। दोनों कर्मचारियों के हाथ में जैसे खजाने की चाबी आ गई थी। पूरे 5 साल तक दोनों कर्मचारी, अन्य कर्मचारियों की भविष्य निधि एवं अन्य हितलाभ के पैसे कभी अपनी पत्नी तो कभी रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर करते रहे। कार्यपालन यंत्री उन्हें कभी पकड़ नहीं पाए। साल 2018 से सितंबर 2023 तक चली इस गड़बड़ी के दौरान सनावद में पदस्थ रहे 3 कार्यपालन यंत्रियों पर भी कार्रवाई प्रस्तावित की गई है। इनमें आरके गुप्ता, आरएस मंडलोई व बीएल मंडलोई शामिल हैं।
फूल प्रूफ प्लानिंग की थी परंतु फिर भी पकड़े गए
अपने अधिकारी का विश्वास जीत चुके क्लर्क और कंप्यूटर ऑपरेटर ने काफी फुल प्रूफ प्लानिंग की थी। ऑडिट के दौरान भी उन्हें पकड़ नहीं जा सका था। इसके चलते उनके हौसले और ज्यादा बुलंद हो गए थे लेकिन भोपाल की स्टेट फाइनेंशियल इंटेलिजेंस सेल ने पकड़ लिया। मध्य प्रदेश की स्टेट फाइनेंशियल इंटेलिजेंस सेल, मध्य प्रदेश के सभी सरकारी कंप्यूटरों में नियमित रूप से गश्त करती रहती है। कंप्यूटर ऑपरेटर को पता भी नहीं होता कि उसके कंप्यूटर का निरीक्षण किया जा रहा है। इसी प्रक्रिया के दौरान खरगोन का GPC SCAM पकड़ा गया। जब छानबीन की तो एक के बाद एक खुलासे होते चले गए।
कर्मचारी के साथ उसकी पत्नी, बहन और रिश्तेदार भी कार्रवाई की जद में
सनावद एनवीडीए कार्यालय में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 अखिलेश मंडलोई और संविदा डाटा एंट्री ऑपरेटर प्रितेश राठौड़ उक्त गड़बड़ी में शामिल हैं। दोनों ने डीडीओ लॉगिन पर खाता नंबर बदलने की सुविधा का दुरुपयोग कर सेवानिवृत्त कर्मचारियों के जीपीएफ फाइनल पेमेंट, अवकाश नकदीकरण सहित अन्य हितलाभ और कार्यरत कर्मचारियों के भी जीपीएफ की राशि बैंक अकाउंट नंबर बदलकर आहरित की है। पूरे मामले की जांच इंदौर जेडीए टीएस बघेल ने की है। आरोपी अखिलेश मंडलोई ने पत्नी अनिमिका तिवारी, साले अनिकेत तिवारी, चाचा लखनसिंह मंडलोई, बहन नमिता मंडलोई दोस्त की पत्नी राखी डोडवा, दोस्त नीरज चौहान, राहुल गुप्ता व योगेश गढ़वाल के खातों में राशि ट्रांसफर की। कंम्प्यूटर ऑपरेटर प्रितेश राठौड़ ने खुद के खाते सहित बहन ऐश्वर्य राठौड़, दोस्त प्रभात डाबर, प्रतिक डाबर, प्रशांत डाबर, ऐश्वर्य राठौड़, मीनाक्षी रावत व प्रतीकसिंह वैश्य के खातों में राशि हस्तांतरित की है।
मध्य प्रदेश में अब तक 41 GPF SCAM, कर्मचारियों की जमा पूंजी खतरे में
इस तरह के प्रदेश में अब तक कुल 41 मामले हो चुके हैं। इनमें कुल 160 करोड़ रुपए की गड़बड़ी सामने आई है। इसमें से अब तक महज 13 करोड़ रुपए की रिकवरी ही हो पाई है। इसमें सर्वाधिक वसूली भी खरगोन जिले के कसरावद बीईओ कार्यालय के मामले में हुई है। इसमें आरोपी बाबू राजेश गुप्ता ने खुद के व परिवार के 6 खातों में कुल 1 करोड़ 69 लाख रुपए जमा कर लिए थे। इसमें से 1 करोड़ 38 लाख रुपए वसूल किए जा चुके हैं। आरोपी फिलहाल जेल में है।
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