मनीष सिंह आईएएस की लापरवाही के कारण भोपाल को 550 करोड़ का नुकसान! - NEWS TODAY

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का बीआरटीएस कॉरिडोर काफी सुर्खियों में है। सन 2013 में इसे बनाया गया था और सन 2023 में हटाया जा रहा है। बनाने में पब्लिक के 360 करोड रुपए खर्च किए गए थे, हटाने में डेढ़ सौ करोड रुपए खर्च होने की उम्मीद है। कई अखबारों में समीक्षा रिपोर्ट छपी है। बताया जा रहा है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री मनीष सिंह के नेतृत्व में इस कॉरिडोर का डिजाइन बनाया गया था, जो फेल हो गया। 

भोपाल के बीआरटीएस कॉरिडोर में मनीष सिंह आईएएस की क्या भूमिका

सन 2009 में JNAURM के तहत BHOPAL BRTS कॉरिडोर मंजूर हुआ था। उसे समय नगर निगम भोपाल के महापौर श्री सुनील सूद और कमिश्नर श्री मनीष सिंह थे। बताया जा रहा है कि सिटी इंजीनियर श्री देवेंद्र तिवारी ने यह प्रोजेक्ट बनाया था। नगर निगम कमिश्नर होने के नाते श्री मनीष सिंह की जिम्मेदारी थी कि वह, सुनिश्चित करें कि भोपाल कॉरिडोर के लिए जो डिजाइन बनाया गया है, वह सही है या नहीं। कहा जा रहा है कि श्री मनीष सिंह ने अपना कर्तव्य नहीं निभाया। इसके कारण गलत डिजाइन पर काम शुरू हो गया। और पूरा बीआरटीएस कॉरिडोर फेल हो गया। इस सब्जेक्ट पर हमने श्री मनीष सिंह से उनका पक्ष मांगा है। जैसे ही प्राप्त होगा यहां प्रकाशित किया जाएगा।

BHOPAL BRTS - पब्लिक के 550 करोड रुपए बर्बाद

सन 2013 में बीआरटीएस कॉरिडोर बनाने में पब्लिक पर टैक्स लगाकर वसूले गए 360 करोड रुपए खर्च किए गए थे। यह अपने आप में एक बहुत बड़ी रकम थी। अब 10 साल बाद सन 2023 में जब कुछ प्रशासनिक अधिकारियों और इंजीनियरों की गलती सुधारने का काम किया जाएगा तो उसके लिए पब्लिक पर टैक्स लगाकर वसूले गए 150 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे। नगर निगम भोपाल को बड़े पैमाने पर टैक्स वसूली करनी पड़ेगी। संपत्ति कुर्की और सीलिंग की कार्रवाई होगी। इसी तरह के खर्चों के कारण असमय प्रॉपर्टी टैक्स बढ़ जाता है। 

शिवराज सिंह के पसंदीदा अधिकारी, मोहन ने आते ही हटा दिया 

भारतीय प्रशासनिक सेवा, 1997 बच के वरिष्ठ अधिकारी श्री मनीष सिंह अक्सर पॉवरफुल पॉलीटिशियंस की पसंद बने रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान तो श्री मनीष सिंह पर काफी विश्वास करते थे। कई बड़े और महत्वपूर्ण काम दिए। तैयार होने से पहले ही मामा की मेट्रो रेल का बेवजह ट्रायल रन भी श्री मनीष सिंह नहीं कराया था। यहां तक कि, विधानसभा चुनाव से पहले सरकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार का भारी भरकम बजट खर्च करने का स्वतंत्र अधिकार श्री मनीष सिंह को दे दिया गया था, लेकिन मध्य प्रदेश में जैसे ही डॉक्टर मोहन यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अपने शुरुआती फसलों में ही श्री मनीष सिंह को उनके पद से हटा दिया गया।

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