MP NEWS - जबलपुर कैंट बोर्ड घोटाले में हाई कोर्ट ने कंप्लायंस रिपोर्ट का लास्ट चांस दिया

जबलपुर कैंट बोर्ड वाले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कंप्लायंस रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए आखरी मौका दिया है। सन 2019 में उच्च न्यायालय ने चार सप्ताह के भीतर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे परंतु 4 साल बीत जाने के बावजूद कार्यवाही नहीं की गई है। 

समस्त 45 गुमटियों को अवैधानिक बताया गया था

अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ने बताया कि, केंट बोर्ड जबलपुर के तत्कालीन सीईओ तथा निर्वाचित पार्षदों सहित केंट बोर्ड के अन्य पदाधिकारियों ने मास्टर प्लान मे रेखांकित सार्वजनिक रोड की आरक्षित जगह पर अवैधानिक रूप से 45 गुमटियों का निर्माण किया गया था। जिसकी वैधानिकता को याचिका क्रमांक WP/ 27521/2018 तथा WP/28880/2018 के माध्यम से हाईकोर्ट मे चुनोति दी गई थी। जिसमे हाईकोर्ट ने कमांडर-इन-चीफ को हाईकोर्ट ने दिनांक 26.02.2018 को स्टेट्स रिपोर्ट कोर्ट मे दाखिल किए जाने का निर्देश दिया गया था। उक्त आदेश के परिपालन में दिनांक 12.12.2018 को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई थी, जिसके अनुसार उक्त समस्त 45 गुमटियों को अवैधानिक बताया गया था तथा केंट बोर्ड के दोषी अधिकारी कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने का लेख था तथा की गई अवैधानिकता के संवन्ध मे एक हाइपवार कमेटी के गठन किए जाने का लेख किया गया था। 

16 आर्मी अधिकारियों को भी दोषी माना गया है

उक्त कमेटी की अन्तरिम रिपोर्ट हाईकोर्ट मे दिनांक 18.3.2019 को दाखिल करके प्राथमिक तौर पर तत्कालीन सीईओ राहुल आनंद शर्मा को दोषी माना गया था तथा सीईओ पर विधिक कार्यवाही किए जाने का हाईकोर्ट मे शपथ पत्र दाखिल किया गया था तथा याचिकाओं के लंबित रहते हुए विजलेंस टीम तथा हाइपवार कमेटी ने हाईकोर्ट मे तीन रिपोर्ट दाखिल की गई, जिसमे पाया गया कि उक्त समस्त गुमटियों मे से 10 गुमटिया एक पार्षद ने प्राप्त की गई है तथा समस्त नर्मदा रोड स्थित गुमटियों के एलाटमेंट निरस्त किए जाने की सूचना हाईकोर्ट मे दाखिल की गई। तत्कालीन केंट बोर्ड अध्यक्ष ने दिनांक 03.6.2019 को हाईकोर्ट मे शपथ पत्र दाखिल करके बताया गया कि उक्त समस्त अनियमितता का मुख्य आरोपी सीईओ राहुल आनंद शर्मा है जिसके विरूद्ध कार्यवाही के लिए प्रिन्सिपल डायरेक्टर डिफेंस एस्टेट सेंट्रल कमान लखनऊ तथा रक्षा मंत्रालय  को पत्र लिखा गया है तथा 16 आर्मी अधिकारियों को भी दोषी माना गया है। 

असिस्टेंट सलीसिटर जनरल ने याचिकाओ की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया था कि सभी दोषियों के विरूद्ध आरोप पत्र जारी किए जा चुके है तथा मामला सीबीआई की विशेष शाखा को सौप दिया गया है एवं उक्त भूमि रिक्त करके नगर निगम जबलपुर को सुपुर्द की जा चुकी है। हाईकोर्ट ने उक्त समस्त अभिवचनों को अपने आदेश दिनांक 5.9.2019 मे लेख करते हुए चार मुद्दो पर तत्काल कार्यवाही किए जाने के निर्देशों के साथ उक्त याचिकाए निस्तारित कर दी गई थी। 

याचिकाओं में दिए गए निर्देश निम्नलिखित है :- 

(1) केंट बोर्ड के सीईओ राहुल आनंद शर्मा सहित समस्त दोषियों के विरूद्ध जारी अनुशासनात्मक कार्यवाही की एक्शन टेकिंग रिपोर्ट हाईकोर्ट मे रजिस्ट्रार के समक्ष दाखिल करें। 
(2) अन्तरिम रिपोर्ट जो न्यायालय मे पेश की गई है के अनुसार केंट बोर्ड के समस्त निर्वाचित पार्षदों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाए। 
(3) डायरेक्टर जनरल आफ डिफेंस इस्टेट एवं रक्षा मंत्रालय को निर्देशित किया जाता है कि GOC-in-C सेंट्रल कमांड लखनऊ द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार उक्त समस्त मामले को तत्काल सीबीआई को हेंडओवर किया जाए। 
(4) दुर्विनियोजित की गई शासकीय राशि का निर्धार्ण करके दोषियों से वसूल की जाकर जमा कराई जाए।  

उक्त समस्त कार्यवाही चार सप्ताह के अंदर सम्पन्न करके हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को प्रस्तुत किए जाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन चार वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी हाईकोर्ट के उक्त निर्देशों के संवन्ध मे कोई कार्यवाही नही की गई। तब दिनांक 17.3.2023 को अवमानना याचिका क्रमांक 808/2023 दाखिल की गई जिसकी चौथी बार सुनवाई आज दिनांक 8/11/23 को चीफ जस्टिस रवि मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की खंड पीठ द्वारा की गई। 

याचिका कर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा कोर्ट को बताया गयाकि माननीय न्यायालय के दिनांक 05/9/2019 के स्पष्ट आदेश के वाबजूद भी आनावेदकों के कंप्लायंस नहीं की है। तब न्यायालय ने अनवेदकों को कंपलाइन्स हेतु आखिरी मौका दिया गया है तथा अगली सुनवाई दिनांक 8/12/23 नियत की गई है। 

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