खबर का असर - कर्मचारियों को महंगाई भत्ता का प्रस्ताव, वित्त विभाग ने फिर से भेजा - MP NEWS

भोपाल समाचार डॉट कॉम एक बार फिर उपयोगी साबित हुआ। जैसे ही छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता की मंजूरी मिली, भोपाल समाचार ने मध्य प्रदेश के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और इसी के साथ पूरे प्रदेश में माहौल बन गया। दबाव बढ़ने लगा तो मध्य प्रदेश शासन के वित्त विभाग ने कर्मचारियों को चार प्रतिशत महंगाई भत्ता दिए जाने का प्रस्ताव एक बार फिर चुनाव आयोग को भेज दिया है। जल्द ही इस प्रस्ताव पर मंजूरी मिल जाएगी। 

साढे़ सात लाख शासकीय कर्मचारी को फायदा होगा 

अपर मुख्य सचिव वित्त विभाग अजीत केशरी के अनुसार कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने का प्रस्ताव पहली बार चुनाव आयोग द्वारा मंजूर नहीं किया गया था। इसके चलते अब एक बार फिर चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेजा गया है। सूत्रों का कहना है कि वित्त विभाग द्वारा भेजा गया प्रस्ताव जीएडी के माध्यम से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को भेजा जाता है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी इस प्रस्ताव को चुनाव आयोग को भेजेंगे। इसके बाद आयोग की परमिशन मिलते ही वित्त विभाग इसके भुगतान के आदेश जारी कर सकेगा। ऐसी स्थिति में प्रदेश के साढे़ सात लाख से अधिक कर्मचारियों अधिकारियों और साढ़े चार लाख पेंशनर्स को चार प्रतिशत महंगाई भत्ता दिया जा सकेगा। हालांकि यह बात भी सामने आई है कि अभी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय तक सरकार का प्रस्ताव नहीं पहुंचा है।

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में महंगाई भत्ता दिया जा चुका है

उल्लेखनीय है कि केंद्र के समान राज्य शासन के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने के लिए चार प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाया जाना है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने इस प्रक्रिया में देरी की। इसके कारण महंगाई भत्ता के आदेश जारी नहीं हो पाए और चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। इसके बावजूद मंत्रालय एक्टिव नहीं हुआ। काफी समय गुजर जाने के बाद चुनाव आयोग को एक प्रस्ताव भेजा गया। मतदान की तारीख से पहले पहुंचे इस प्रस्ताव को ना मंजूर कर दिया गया। चुनाव आयोग ने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते पर वोटिंग के दिन तक रोक लगा दी थी। राजस्थान और छत्तीसगढ़ के शासन ने तो अपने कर्मचारियों को महंगाई भत्ता मंजूर करवा लिया परंतु मध्य प्रदेश शासन के अधिकारियों ने इसकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया। जब भोपाल समाचार ने मामला उठाया (यहां क्लिक करके पढ़ें) और कर्मचारियों ने आवाज बुलंद करना शुरू किया तब कहीं जाकर एक प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। 

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