IPC 203 - पुलिस या मजिस्ट्रेट को अपराध की झूठी सूचना देना भी अपराध है, पढ़िए परिभाषा और सजा

Legal general knowledge and law study notes 

कई बार पुलिस एवं प्रशासन को मिस गाइड करने के लिए किसी अपराध के बारे में झूठी सूचना दी जाती है। अपहरण को गुमशुदगी बताया जाता है या फिर वाहन से कुचलकर की गई हत्या को दुर्घटना बता दिया जाता है। इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार से अपराधी को बचाना होता है। इस प्रकार की गलत सूचना देना भी आईपीसी के तहत अपराध है और इसके लिए गंभीर दंड का प्रावधान है। 

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 203 की परिभाषा

कोई व्यक्ति जानते हुए की उसने किसी घटना को स्वयं देखा है और उस सच्ची घटना की गलत या झूठी जानकारी किसी मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी को देता है। वह व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता, की धारा 203 के तहत दोषी और अपराधी घोषित किया जाएगा एवं न्यायालय द्वारा दंडित किया जाएगा।
इस अपराध के अवश्यक तत्व है:-
1. कोई अपराध सच मे हुआ हो।
2. आरोपी ने अपराध की जानकारी जानबूझकर छुपाई हो।
3. जो सूचना, पुलिस, मजिस्ट्रेट को दी गई है वह झूठी हो।

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 203 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान 

इस धारा के अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है सजा:- इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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