भारत की शिक्षा व्यवस्था के लिए बहुत बड़ी खबर है। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने NEET PG में कट ऑफ खत्म कर दिया है। अब इस परीक्षा में शामिल होने वाले सभी उम्मीदवार काउंसलिंग के लिए एलिजिबल हो गए हैं। हायर एजुकेशन से जुड़े विशेषज्ञ इस फैसले की अपने-अपने तरीके से समीक्षा कर रहे हैं। किसी का कहना है कि यह क्रांतिकारी फैसला है जबकि कोई इसे हास्यास्पद बता रहा है।
प्राइवेट मेडिकल कॉलेज को फायदा पहुंचाने वाला फैसला
Federation of All India Medical Association के chairman dr Rohan Krishnan का कहना है कि यह हास्यास्पद है। NEET PG को 2017 में इसीलिए लाया गया था ताकि हर कोई पैसे देकर सीटें ना खरीद सके और मेरिट के आधार पर उसे सीट मिले। कुछ हद तक परसेंटाइल नीचे जा सकता था। प्राइवेट मेडिकल कॉलेज को इससे फायदा होगा। पिछले कुछ सालों में फीस कम होने लगी थी क्योंकि भारी फीस देने वाले कम थे। अब ज़्यादा लोग क्वालिफाई करेंगे तो फीस बढेगी। सीटें ब्लॉक की जाएंगी, private college कई तरीके फीस बढ़ाने के निकाल लेंगे।
कट ऑफ 25% करने के बाद भी सीटें खाली रह गई थी
Indian Medical Association ने स्वास्थ्य मंत्रालय से रिक्वेस्ट की थी कि परसेंटाइल को 50 से 30 लाया जाए। इसके कुछ कारण थे जिनमें बायोकेमिस्ट्री, एनोटमी जैसी non clinical seats खाली रह जाती थी, अब बच्चे उस के लिए opt कर सकते हैं। हर साल लगभग 3 हजार PG सीटें फिर भी खाली रह जाती है। इसलिए ऐसा कहा गया था लेकिन पिछले साल Cut off 50 से कम करके 25% करने के बाद भी सीटें खाली रह गई थीं। इसलिए सरकार ने ऐसा सोचा होगा।
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