MP NEWS- रीवा के एडिशनल एसपी अनिल सोनकर को MPSIC का कारण बताओ नोटिस

Bhopal Samachar
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Madhya Pradesh Right to Information update news

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित राज्य सूचना आयोग के आयुक्त श्री राहुल सिंह द्वारा रीवा पुलिस के एडिशनल एसपी श्री अनिल सोनकर को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों ना आपके खिलाफ ₹25000 जुर्माना की कार्रवाई की जाए। एडिशनल एसपी श्री सोनकर पर आरोप है कि उन्होंने एक वृद्ध एवं विकलांग पिता को उनके मृत बेटे की अंतिम कॉल रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं कराई। RTI के तहत मांगे जाने पर भी इंकार कर दिया।

पिता को मृत बेटे की लास्ट कॉल रिकॉर्डिंग क्यों चाहिए

रीवा के 72 साल के अयोध्या प्रसाद उपाध्याय पिछले एक साल से पुलिस कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। एक पांव से अपाहिज उपाध्याय का इकलौता जवान बेटा शिवकुमार उपाध्याय की मौत हो गई थी। पुलिस ने अपनी जांच में इसे एक्सीडेंटल डेथ का मामला मानते हुए मामले को बंद कर दिया। जबकि अयोध्या प्रसाद उपाध्याय को यह शक है कि उनके बेटे की हत्या हुई है। उपाध्याय का कहना है कि पुलिस उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है इससे परेशान होकर के उन्होंने पार्टी आवेदन दायर करके अपने बेटे की अंतिम क्षण के कॉल रिकॉर्ड डिटेल की जानकारी पुलिस से मांगी है। उपाध्याय यह जानना चाहते थे कि अपने जीवन के अंतिम क्षण में उनका बेटा किससे बात कर रहा था।

एडिशनल एसपी और एसपी ने जानकारी देने से मना कर दिया

पर पुलिस ने इस जानकारी को देने से इनकार कर दिया रीवा के एडिशन एसपी अनिल सोनकर ने जानकारी को यह कहते हुए देने से मना कर दिया कि यह एक व्यक्तिगत जानकारी है। जानकारी नहीं मिलने पर परेशान उपाध्याय ने रीवा पुलिस अधीक्षक के पास प्रथम अपील दायर की, पर यहां भी निराशा मिली। रीवा पुलिस अधीक्षक ने एडिशनल एसपी के निर्णय को सही ठहराते हुए प्रथम अपील को व्यक्तिगत जानकारी होने के आधार पर ही खारिज कर दिया।

सुनवाई मे भावुक हुए पिता

जानकारी नहीं मिलने पर उपाध्याय ने राज्य सूचना आयोग में अपील लगाकर जानकारी दिलवाने की गुहार लगाई। आयोग में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई करते हुए सुनवाई के नोटिस जारी कर दिए। सूचना आयोग में सुनवाई के दौरान बुजुर्ग अयोध्या प्रसाद उपाध्याय अपने बेटे की मौत का जिक्र आते ही भावुक हो गए उनका कहना था कि उनके जीवन का एकमात्र सहारा उनका इकलौता बेटा था। 

उपाध्याय ने सुनवाई में सूचना आयुक्त राहुल सिंह को यह भी बताया कि जब भी वह पुलिस कार्यालय जाकर के अपने बेटे के विषय में जानकारी मांगने के लिए आरटीआई लगाते तो उन्हें अधिकारी हमेशा यह कहते कि जहां जो शिकायत करनी है कर लो तुम्हारे मामले में कुछ नहीं होगा। 

सूचना आयुक्त ने पुलिस से पूछा, पिता के लिए पुत्र की जानकारी निजी कैसे

सुनवाई के दौरान सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सबसे पहले यही सवाल उठाया की एक पिता के लिए उसके मृत बेटे के अंतिम क्षण के फोन रिकॉर्ड की जानकारी व्यक्तिगत जानकारी कैसे हो सकती है? सुनवाई के दौरान एडिशनल एसपी अनिल सोनकर इसका कोई सही उत्तर नहीं दे पाए। उनका कहना था कि साइबर सेल ने उनको जो उत्तर दिया वही उत्तर उन्होंने आवेदक को आगे लिख करके दे दिया। आयुक्त राहुल सिंह ने इस बात पर आपत्ति उठाई। उनका कहना है कि लोग सूचना अधिकारी, डाकिया नहीं है जो किसी भी अधिकारी द्वारा लेख किया गया पत्र आगे प्रेषित कर दे वह भी अपने नाम से। 

मृतक के पिता को सब कुछ जानने का हक है

सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पुलिस विभाग के अधिकारियों को संवेदनशील होकर के इस तरह के मामलों में निराकरण करना चाहिए। यहां स्पष्ट रूप से एक बेबस लाचार बाप अपनी निजी त्रासदी का समाधान चाहता है जो कि पुलिस के पास मौजूद है लेकिन पुलिस के अधिकारियों ने असंवेदनशील होते हुए उसे पिता को इस जानकारी से भी महरूम रखा कि उसके पुत्र की मृत्यु किन हालातो में हुई है जिसके चलते पिता को इस बात का समाधान नहीं हो पाया कि उसके पुत्र की दुर्घटना में मृत्यु हुई है या उसकी हत्या हुई है। सिंह ने कहा कि केस का क्लोजर एक बात है पर मानवता की नाते पुलिस को प्रयास करना चाहिए कि जानकारी देने से किसी के निजी त्रासदी का अगर क्लोजर हो सकता है तो वह भी करना चाहिए। 

सिंह ने जारी किया ₹25000 का कारण बताओ नोटिस

प्रकरण में राहुल सिंह ने गलत ढंग से जानकारी को रोकने के लिए रीवा के एडिशनल एसपी अनिल सोनकर को ₹25000 और अनुशासनिक कार्रवाई का कारण बताओं नोटिस जारी किया है। वही साथ में रीवा एसपी के जानकारी नहीं देने के आदेश को तत्काल प्रभाव से खारिज भी कर दिया है। सिंह ने एडिशनल एसपी रीवा को आदेश प्राप्ति के 5 दिन के भीतर निशुल्क जानकारी आवेदक को उपलब्ध कराने के लिए कहा है। 

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