जबलपुर स्टेट हाई कोर्ट ऑफ मध्य प्रदेश ने वन विभाग की सेवा करके रिटायर हुए मध्य प्रदेश शासन के एक कर्मचारी से वेतन निर्धारण में त्रुटि के कारण की गई वसूली के दौरान ब्याज की वसूली को अवैध घोषित करते हुए, वसूले गए ब्याज को 6% ब्याज सहित वापस लौटाने के आदेश दिए हैं।
वेतन निर्धारण में त्रुटि के बाद वसूली पर ब्याज वैध या अवैध
श्री जितेन्द्र प्रसाद चतुर्वेदी, सहायक ग्रेड 2, साउथ फॉरेस्ट डिवीजन, शहडोल से कथित गलत वेतन निर्धारण के कारण, वसूली ब्याज सहित अधिरोपित की गई थी। दिसंबर 2022 में रिटायरमेंट के समय उन्हे ब्याज भरने के निर्देश विभाग द्वारा मिले थे।
उनकी पूर्व से दायर, याचिका में उनकी ओर से वकील श्री अमित चतुर्वेदी द्वारा कोर्ट को बताया गया की कर्मचारी की गलती के अभाव में, उसके ऊपर ब्याज लगाना या ब्याज लेना, घोर अन्याय एवम कर्मचारी के मूलभूत अधिकारों का हनन है। वेतन निर्धारण में कर्मचारी की कोई भूमिका नहीं होती है।
सुनवाई के बाद, उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने, सहायक ग्रेड 2 के उपर अधिरोपित ब्याज की राशि को निरस्त करते हुए, आदेश दिए गए हैं कि यदि कर्मचारी से ब्याज वसूला गया है तो उसे, 60 दिवस के भीतर 6 प्रतिशत ब्याज के साथ कर्मचारी को वापस किया जावे।
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