GANESH CHATURTHI - कैसी प्रतिमा लाएं, मुहूर्त, पूजा विधि, आरती सहित संपूर्ण मार्गदर्शन शास्त्रानुसार

Bhopal Samachar
0
भारतीय धार्मिक परंपराओं में श्री गणेश चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है। इस दिन सुखकर्ता, दुखहर्ता भगवान श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है और फिर पूरे भक्ति भाव से 10 दिन तक सेवा और पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से चमत्कारी फल प्राप्त होते हैं। भक्तों के मन में श्री गणेश चतुर्थी से संबंधित कई प्रश्न भी होते हैं। यहां शास्त्रानुसार संपूर्ण मार्गदर्शन प्रस्तुत किया जा रहा है। 

श्री गणेश चतुर्थी के अवसर पर किस प्रकार की प्रतिमा लाएं 

घर, ऑफिस या अन्य सार्वजनिक जगह पर गणेश स्थापना के लिए मिट्टी की मूर्ति बनाई जानी चाहिए। गणेशजी की मूर्ति में सूंड बाईं ओर मुड़ी होनी चाहिए। दुकान या ऑफिस में स्थाई रूप से गणेश स्थापना करना चाह रहे हैं तो सोने, चांदी, स्फटिक या अन्य पवित्र धातु या रत्न से बनी गणेश मूर्ति ला सकते हैं। गणेश प्रतिमा पूर्ण होनी चाहिए। इसमें गणेश जी के हाथों में अंकुश, पाश, लड्डू हो और हाथ वरमुद्रा में (आशीर्वाद देते हुए) हो। कंधे पर नाग रूप में जनेऊ और वाहन के रूप में मूषक होना चाहिए।  
  • घर में सुख और आनंद का स्थायित्व के लिए भगवान श्री गणेश की आसन पर विराजमान प्रतिमा लानी चाहिए। 
  • लेटे हुए ध्यान मग्न भगवान श्री गणेश की प्रतिमा केवल घर में लाना शुभ माना जाता है। दुकान अथवा प्रतिष्ठान में नहीं। 
  • भगवान श्री गणेश की सिंदूरी रंग की प्रतिमा समृद्धि दायक मानी गई है। गृहस्थ एवं व्यापारियों को लाभदायक होती है। 
  • नृत्य की मुद्रा वाली भगवान श्री गणेश की प्रतिमा आनंद, उत्साह एवं उन्नति प्रदान करती है। जहां टीमवर्क होता है वहां यह प्रतिमा सर्वोत्तम मानी गई है। कला के क्षेत्र में नृत्य की मुद्रा वाली भगवान श्री गणेश की प्रतिमा ही स्थापित की जाती है। 
  • यहां क्लिक करके मनोकामना पूर्ति के लिए श्रीगणेश की प्रतिमा के चुनाव का मार्गदर्शन पढ़ सकते हैं। 

श्री गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त 

19 सितंबर को दोपहर में 1 बजकर 44 मिनट तक चतुर्थी तिथि रहेगी। 
19 सितंबर को सुबह 10:43 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट तक - लाभ चौघड़िया। 
19 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से 1 बजकर 47 मिनट तक अमृत चौघड़िया। 

गणेश चतुर्थी की पूजा व स्थापना विधि

1. गणेश चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर दैनिक क्रियाएं कर के, नहाएं और शुद्ध वस्त्र धारण करें। 
2. पूजा के स्थान पर पूर्व दिशा की ओर मुंह रखकर कुश के आसन पर बैठें। 
3. अपने सामने छोटी चौकी के आसन पर सफेद वस्त्र बिछा कर उस पर एक थाली में चंदन या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और उस पर शास्त्रों के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की मूर्ति स्थापित करें और फिर पूजा शुरू करें। 
  • भगवान श्री गणेश की प्रतिमा घर के ब्रह्म स्थान (केंद्र) या पूर्व दिशा या फिर ईशान कोण पर स्थापित की जानी चाहिए। 
  • इस बात का ध्यान रखें कि गणेश जी की सूंड उत्तर दिशा की ओर हो।
  • गणेश जी को कभी भी दक्षिण या नैऋत्य कोण में नहीं रखना चाहिए।
  • घर में जहां भी गणेश जी को विराजमान कर रहे हों वहां कोई अन्य गणेश जी की प्रतिमा नहीं होनी चाहिए। 
  • यदि घर में स्थाई रूप से स्थापित धातु की श्री गणेश प्रतिमा के ठीक सामने मिट्टी की प्रतिमा रहेगी तो यह एक अशुभ योग है।
  • गणेश जी की पूजा भी बैठकर ही करनी चाहिए, जिससे बुद्धि स्थिर बनी रहती है।

यहां क्लिक करके गणेश चतुर्थी से संबंधित कई सामान्य जिज्ञासाओं के उत्तर पढ़ सकते हैं। 
यहां क्लिक करके वह कथा प्रसंग पढ़ सकते हैं जिसके कारण भगवान श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई। 

पूजा शुरू करने से पहले ये मंत्र बोलें
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।  
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥  

इसके बाद संकल्प लेकर ऊं गं गणपतये नम: मंत्र बोलते हुए जल, मोली (पूजा का लाल धागा) चंदन, सिंदूर, अक्षत, हार-फूल, फल, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी, यज्ञोपवित (जनेउ), दूर्वा और श्रद्धानुसार अन्य सामग्री अर्पित करें। इसके बाद गणेशजी को धूप-दीप दर्शन करवाएं। फिर आरती करें। 

आरती के बाद 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास रखें और 5 ब्राह्मण को दान कर दें। बाकी प्रसाद में बांट दें। फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने के बाद शाम को स्वयं भोजन करें। 

पूजा के बाद ये मंत्र बोलकर गणेशजी को नमस्कार करें 
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।। 

भगवान श्रीगणेश की आरती एवं आरती मंत्र -

चंद्रादित्यो च धरणी विद्युद्ग्निंस्तर्थव च। 
त्वमेव सर्वज्योतीष आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम।। 
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 
माता जाकि पार्वती पिता महादेवा।। 
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 
एक दन्त दयावंत चार भुजा धारी। 
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी।।  
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 
अन्धन को आंख देत कोढ़िन को काया। 
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।। 
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 
हार चढ़े फुल चढ़े और चढ़े मेवा। 
लड्डूवन का भोग लगे संत करे सेवा।। 
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 
माता जाकि पार्वती पिता महादेवा।। 
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

Post a Comment

0 Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!