मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के हॉस्टलों में रहने वाले 1000 जूनियर डॉक्टरों को पिछले कई हफ्तों से गंदा पानी पिलाया जा रहा है। नतीजा, जूनियर डॉक्टर हेपेटाइटिस ए संक्रमण का शिकार होते जा रहे हैं। एक जूनियर डॉक्टर काफी गंभीर स्थिति में पहुंच गया है।
भोपाल में जूनियर डॉक्टरों के पेयजल में मल मूत्र शामिल होने की संभावना
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित गांधी मेडिकल कालेज में कुल 8 हास्टल हैं। इनमें करीब एक हजार मेडिकल छात्र रहते हैं। जानकारी के अनुसार, हास्टल में कई दिनों से गंदा पानी आ रहा है। स्टूडेंट्स ने बताया कि सप्लाई वाले पानी में बदबू आती है। इसकी शिकायत कई बार गांधी मेडिकल कालेज प्रबंधन से की गई, बावजूद इस पर ध्यान नहीं दिया गया। डाक्टरों के अनुसार, पीने के पानी में सीवेज का पानी मिलने की वजह से हेपेटाइटिस बीमारी का खतरा हो रहा है। हास्टल की सप्लाई लाइन कहीं लीक होने से इसमें सीवेज का पानी मिल रहा होगा।
स्थिति गंभीर होने के बाद पानी के सैंपल की जांच कराई
पानी के सैंपल जांच के लिए पीएचई को भेजे गए। दूषित पानी पीने के बाद मेडिकल छात्रों के बीमार होने के बाद कालेज प्रबंधन को नींद खुली और आनन-फानन में पानी की जांच कराई गई। अब डीन को पानी की रिपोर्ट का इंतजार है इसके बाद वो आगे की कार्रवाई करेंगे।
हेपेटाइटिस ए क्या है, कैसे फैलता है
हेपेटाइटिस ए एक लीवर का रोग है जो वायरस हेपेटाइटिस ए के कारण होता है। आप वायरस से तब प्रभावित होते हैं जब आप अस्वच्छ होते हैं और अंत में संक्रमित व्यक्ति के भोजन या पानी के संपर्क में आते हैं। यह बीमारी दूषित पानी या भोजन, अनुचित स्वच्छता और खराब व्यक्तिगत स्वच्छता के संपर्क में आने से होती है।
GMC BHOPAL के डीन की दलील
डा.सलिल भार्गव, डीन गांधी मेडिकल कालेज का कहना है कि, हमारे कैंपस कि सभी टंकियों की सफाई हो चुकी है, अब नगर निगम से सप्लाई होने वाले पानी की गुणवत्ता की जांच कराई है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्ययोजना तैयार करेंगे। अभी हमने सभी स्टूडेंट से अपील की है कि बाहर किसी तरह का खान-पान नहीं करें। यहां उल्लेख करना अनिवार्य है कि डॉक्टर हमेशा आम नागरिकों को सलाह देते हैं कि, पानी पीने से पहले कई प्रकार की सावधानियां बरतनी चाहिए परंतु वहीं सीनियर डॉक्टर, अपने कैंपस में दूषित पानी की सप्लाई के लिए नगर निगम को जिम्मेदार बता रहे हैं। मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद पेयजल की सप्लाई से पहले ना तो कोई जांच की जाती है और ना ही कोई सावधानी बरती जाती है।
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