मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी करके सवाल किया है कि सन 2014 में प्राप्त शिकायत के आधार पर 9 साल बाद सन 2023 में FIR क्यों दर्ज की गई। लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई को मामले के आरोपी अधिकारी विकास राजौरिया, जल संसाधन विभाग द्वारा चुनौती दी गई है।
पहली शिकायत में लोकायुक्त पुलिस ने क्लीनचिट दे दी थी
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने ग्वालियर उच्च न्यायालय को बताया कि सन 2013 एवं सन 2014 में लोकायुक्त पुलिस में 2 शिकायतें हुई थी। जिसमें बताया गया था कि मनरेगा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है। दोनों शिकायतें एक समान है, दोनों में कोई अंतर नहीं है। लोकायुक्त पुलिस द्वारा पहली शिकायत की जांच की गई। इसमें याचिकाकर्ता को निर्दोष घोषित किया गया, लेकिन दूसरी शिकायत की ना तो कोई जांच की गई और ना ही पुरानी जांच रिपोर्ट के आधार पर नई शिकायत को क्लोज किया गया।
वही शिकायत दोबारा हुई तो FIR दर्ज कर ली
9 साल बाद सन 2023 में उस शिकायत के आधार पर FIR दर्ज कर ली गई है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से निवेदन किया है कि लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR निरस्त कर दी जाए। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के जस्टिस श्री रोहित आर्य एवं जस्टिस श्री दीपक कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करने के बाद लोकायुक्त पुलिस को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। लोकायुक्त पुलिस का उत्तर प्राप्त होने के बाद सुनवाई की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
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