वह DNA रिपोर्ट पढ़िए जिसके कारण भारतीय ऋषियों ने चंद्रमा को मनुष्य प्रजाति का मामा बताया - Chandrayan3

Bhopal Samachar
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Chandrayan3- amazing facts in Hindi about moon, general knowledge 

भारत की तरफ से chandrayaan-3 लॉन्च किया जा रहा है। इससे पहले इसरो के वैज्ञानिकों ने तिरुपति में तिरुमला पर्वत श्रृंखला पर स्थित श्री वैंकटेश्‍वर मंदिर में श्री हरि विष्णु के दर्शन किए। यह प्रसंग उन लोगों के लिए करारा जवाब है जो विज्ञान और भगवान को अलग-अलग करके देखते हैं। बात Chandrayaan-3 की हो रही है जिसका लक्ष्य है चंद्रमा। वही चंद्रमा जिसे अपन मामा कहते हैं। आइए आज आपको वह डीएनए रिपोर्ट बताते हैं जिसके कारण नौ ग्रहों में से मात्र चंद्रमा को ही परिवार और रिश्तेदार का संबोधन दिया गया है। आज अपन समझेंगे कि क्यों सूरज को दादू, बुध को चाचू और मंगल को फूफा नहीं कहा। 

चंद्रमा और पृथ्वी की डीएनए रिपोर्ट

चंद्रमा को मामा बताने के पीछे कई धार्मिक कथाएं भी है परंतु अपन विज्ञान की बात करते हैं। लॉजिक की तलाश करते हैं। विश्व स्तर पर आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा 1980 के आसपास इस सिद्धांत को स्वीकृत किया गया कि करीब 4.5 बिलियन साल पहले पृथ्वी और थिया के बीच हुई टक्कर के बाद चंद्रमा की उत्पत्ति हुई थी। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेलीडे यह स्वीकार करते हैं कि चंद्रमा में उसी प्रकार की चट्टाने मौजूद हैं जैसे कि पृथ्वी पर पाई जाती है। 

पृथ्वी की संतानों से चंद्रमा का रिश्ता

यानी कि पृथ्वी और चंद्रमा दोनों एक ही पिता की संताने हैं। पृथ्वी को हम माता का दर्जा देते हैं इसलिए चंद्रमा को मामा कहा गया। इसके अलावा दूसरा महत्वपूर्ण कारण यह है कि चंद्रमा अकेला ऐसा ग्रह है जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है और एक प्रकार से पृथ्वी की रक्षा करता है। चंद्रमा के कारण ही पृथ्वी पर ऑक्सीजन है, जीवन है। इसलिए हम चंद्रमा को मामा कहते हैं, जो बिना किसी लालच के धरती माता की परिक्रमा लगाते हुए उनकी और उनकी संतानों (मनुष्य, जीव जंतु एवं वनस्पति) की रक्षा करते हैं। 

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