Definition of section 40 of the Code of Civil Procedure, 1908
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 39 में बताया गया है कि डिक्रिधारी पक्ष के आवेदन पर न्यायालय किसी भी अन्य स्थानीय क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय में डिक्री का ट्रांसफर कर सकता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति जिसके विरुद्ध डिक्री पारित हुई है वह अन्य किसी राज्य में निवास करता है तब न्यायालय में डिक्रिधारी व्यक्ति अन्य धारा के अंतर्गत आवेदन करेगा जानिए
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 40 की परिभाषा
न्यायालय डिक्री पारित होने के बाद स्वंय या पक्षकार(डिक्रिधारी) के आवेदन पर निम्न परिस्थितियों में अन्य सक्षम अधिकारिता वाले न्यायालय में डिक्री को निष्पादित कर सकता है जानिए:-
1. वह व्यक्ति जिसके विरुद्ध डिक्री पारित हुई है वह अन्य राज्य के न्यायालय की अधिकारिता का स्थाई निवासी हैं, कारोबार वही करता है, यह कोई लाभ वही से प्राप्त करता है तब।
2. ऐसे व्यक्ति जिसके विरुद्ध डिक्री पारित हुई है उसकी संपत्ति अन्य राज्य के न्यायालय की स्थानीय सीमा में है। या उसकी कोई अचल संपत्ति जिसका विक्रय करने या परिदान करने के निर्देश दे दिए हैं और वह अन्य अन्य राज्य के न्यायालय की स्थानीय सीमा में है।
उपर्युक्त आधार पर सिविल न्यायालय द्वारा अन्य राज्यों में डिक्री को ट्रांसफर किया जा सकता है।
विशेष नोट:- डिक्री ट्रांसफर के लिए आवेदन की समय सीमा जानिए डिक्री पारित होने की तिथि से 12 वर्षों के अंदर डिक्री ट्रांसफर का आवेदन किया जा सकता है इसके बाद मान्य नहीं होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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