मध्य प्रदेश शासन के, वाणिज्यिक कर विभाग ने बुलियन व्यापार (सोना चांदी का व्यापार) करने वाले व्यवसाइयों द्वारा फर्जी बिल बनाने वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया है। विभाग के डेटा कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से मिली मदद से पिछले 6 से 8 माह की अवधि में 375 करोड़ रूपये का अवैध बुलियन व्यापार पाया गया। विभाग द्वारा बीफा/ गेन, ई वे बिल एवं जीएसटी पोर्टल पर उपलब्ध 400 से अधिक एनालिटिकल रिपोर्ट का बारीकी से परीक्षण कर कार्यवाही की जा रही है।
कर्मचारी, ड्राइवर और नौकरों के नाम पर करोड़ों का टर्नओवर
वाणिज्यिक कर आयुक्त श्री लोकेश कुमार जाटव एवं विशेष कर आयुक्त श्रीमती रजनी सिंह के निर्देशन में उच्च मूल्य की वस्तु ‘बुलियन’ के व्यापार में संलिप्त व्यवसाइयों से सघन डाटा एनालिसिस कर पाया गया कि प्रदेश में बुलियन (सोने एवं चांदी) के एक संगठित नेटवर्क द्वारा अपने निजी कर्मचारियों, जैसे घरेलू नौकरों/ ड्राइवर या अन्य व्यक्तियों, के दस्तावेजों पर जीएसटी पंजीयन प्राप्त किये गये हैं। साथ ही इन कर्मचारियों के दस्तावेजों का उपयोग बैंक खाता खोलने में भी किया गया है। जीएसटी पंजीयन प्राप्त कर पंजीयत व्यवसाइयों से बड़ी मात्रा में बुलियन क्रय किया गया। उसके बाद फर्जी बिल जारी कर इन बुलियन को छोटी-छोटी मात्रा में निजी उपभोक्ताओं को बेचा जाना बताया गया।
प्रथम चरण में विभाग द्वारा चिन्हांकित 7 संदिग्ध बुलियन व्यवसाइयों द्वारा 6 से 8 माह की अवधि में लगभग 375 करोड़ रुपये का बुलियन संबंधी व्यापार किया जाना पाया गया। यह समस्त बुलियन इसी अवधि में निजी उपभोक्ताओं को बेचा जाना भी बताया गया।
बोगस करदाताओं के खिलाफ जारी रहेगा अभियान
आयुक्त श्री लोकेश कुमार जाटव के निर्देशन में जीएसटी अधिनियम के तहत संदिग्ध फर्मों पर सर्च की कार्यवाही की गयी। इस कार्यवाही में सतना, कटनी, जबलपुर एवं छतरपुर की 6 संदिग्ध फर्मों के व्यवसाय स्थलों पर कोई व्यावसायिक गतिविधि संचालित होना नहीं पायी गई। एक फर्म द्वारा पंजीयन निरस्त करा लेने के कारण सर्च की कार्यवाही नहीं की गयी। इन संदिग्ध फर्मों द्वारा लगभग 724 किलोग्राम बुलियन का व्यापार किया गया तथा 5 से 10 ग्राम तक के बुलियन को अपंजीयत व्यक्तियों को फर्जी बिल जारी कर विक्रय करना दर्शाया गया।
राजस्व संरक्षण एवं फेक इनवॉइसिंग में संलिप्त संदिग्ध/बोगस करदाताओं के विरुद्ध सशक्त कार्यवाही के उद्देश्य से विभाग द्वारा विशेष अभियान अंतर्गत बोगस करदाताओं की पहचान की जा रही है। वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा डेटा कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में एक टीम सिर्फ डेटा विश्लेषण का ही कार्य कर रही है।
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