भारत छोड़ो आंदोलन की तारीख को लेकर MPPSC और उम्मीदवार आमने-सामने- NEWS TODAY

भारत छोड़ो आंदोलन की तारीख को लेकर उच्च शिक्षित और बुद्धिजीवी वर्ग के बीच में तनाव की स्थिति बन गई है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने भारत छोड़ो आंदोलन के शुभारंभ की तारीख 9 अगस्त 1942 मानने से इंकार कर दिया और इससे संबंधित प्रश्न को डिलीट कर दिया। उम्मीदवारों का कहना है कि उत्तर सही है और प्रश्न को हटाया नहीं जाना चाहिए। 

MPPSC चेयरमैन बताएं, केंद्र सरकार गलत है क्या?

उम्मीदवारों ने पीएससी गलत साबित करने के लिए जनता की अदालत (सोशल मीडिया पर) में केंद्र सरकार का एक पत्र जारी कर दिया है। इसमें केंद्र सरकार के कर्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ के अवसर पर विभिन्न आयोजन करने का निर्देश जारी किया था।कर्मिक मंत्रालय के अवर सचिव राजेश्वर लाल ने 4 अगस्त 2017 को भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए सभी विभागों को निर्देश दिया था। इसमें स्पष्ट लिखा गया था कि अगस्त क्रांति यानी भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त 1942 को शुरू हुआ था। यह स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण पड़ाव था। इसकी 75वीं वर्षगांठ पर संकल्प से सिद्धी या संकल्प पर्व के रूप में मनाने का निर्देश सभी विभागों को दिया गया था। इसमें विभिन्न गतिविधियां जैसे प्रतिज्ञा से लेकर नरेंद्र मोदी मोबाइल एप पर भारत छोड़ो क्विज भी करवाने का निर्देश शामिल था। 

संदर्भ को दरकिनार किया

पीएससी के अभ्यर्थी आकाश पाठक ने केंद्र सरकार का पत्र जारी कर मप्र लोकसेवा आयोग पर सवाल खड़े किए। पाठक ने कहा कि जब केंद्र सरकार ने खुद 9 अगस्त की तारीख पर भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ मनाई। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किए। साथ ही साथ तमाम संदर्भ पुस्तकों और पाठ्य पुस्तकों में 9 अगस्त 1942 की तारीख से ही आंदोलन शुरू होने की बात लिखी गई है तो भी इस उत्तर को नहीं मानते हुए प्रश्न डिलीट करना आपराधिक मनमानी है। 

जब प्रश्न के जवाब में 9 अगस्त का विकल्प दिया गया था तो भी इसे डिलीट करना किसी खास उद्देश्य की ओर इशारा करता है। दरअसल तमाम विद्यार्थी इस खास कारण की ओर पहले से ही ध्यान दिलवा चुके हैं जो मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का ट्वीट है। साफ है कि आयोग सिर्फ मनमानी कर प्रश्न हटा रहा है। और तो और निर्वाचन आयोग की स्थापना को लेकर तो दो साल पहले पीएससी ने जिस जवाब को सही माना था ताजा परीक्षा में उसे भी नहीं मानते हुए हटाया गया। आयोग को इस बारे में लिखित स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए। पाठक ने कहा कि उम्मीदवारों की ओर से हम इस मामले पर कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।

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