CrPC-331: मानसिक विक्षिप्त आरोपी स्वस्थ हो जाए तो उसके केस की सुनवाई कैसे होगी, जानिए

provision of bail for unsound mind

कई बार मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों से अपराध हो जाते हैं। कभी-कभी अपराध घटित हो जाने के बाद आरोपी मानसिक रूप से अस्वस्थ हो जाता है, लेकिन हर बीमारी का इलाज होता है। मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति भी स्वस्थ हो सकता है। आइए जानते हैं कि ऐसी स्थितियों में इस प्रकार के व्यक्तियों के लिए, क्या प्रावधान है। 

विक्षिप्त व्यक्ति के लिए जमानत के प्रावधान

दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 328 कहती है कि अगर कोई व्यक्ति जाँच के समय पागल है तब उस इलाज के लिए मानसिक रोग विशेषज्ञ के पास भेज दिया जायेगा एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 329 कहती है कि अगर कोई आरोपी विचारण (सुनवाई) के समय पागल हो गया है तब ऐसे व्यक्ति के इलाज के लिए उसे मानसिक चिकित्सालय भेजा जाएगा। दण्ड प्रक्रिया संहिता,1976 की धारा 330 कहती है कि जब कोई आरोपी कम पागल है तब न्यायालय द्वारा उसके संबंधी के वचन पत्र पर जमानत दी जा सकती है। अब सवाल यह हैं कि कोई पागल व्यक्ति, कुछ समय बाद मानसिक रूप से स्वस्थ हो जाता है तब उसका पुनः विचारण कब किया जाएगा जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 331 की परिभाषा

जब कभी किसी विकृतचित व्यक्ति को इलाज के लिए भेजा गया हो या किसी की जबाबदारी पर उसे जमानत पर छोड़ा गया है और मजिस्ट्रेट को लगता है कि विकृतचित (पागल) व्यक्ति अपनी मानसिक बीमारी से ठीक हो गया है, तब मजिस्ट्रेट सीआरपीएफ की धारा 331 के अंतर्गत ऐसे व्यक्ति से अपेक्षा करेगा कि वह न्यायालय में हाजिर हो,एवं अपनी प्रतिरक्षा में साक्ष्य प्रस्तुत करें। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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