फिंगरप्रिंट से पता चल जाता है व्यक्ति बलात्कारी होगा या हत्यारा: मध्य प्रदेश फिंगरप्रिंट ब्यूरो- NEWS TODAY

मध्य प्रदेश फिंगरप्रिंट ब्यूरो के डायरेक्टर गणेश सिंह ठाकुर ने बताया कि उनकी डिटेल डेटा एनालिसिस रिपोर्ट से खुलासा होता है कि, अपराधियों के फिंगरप्रिंट में खास प्रकार की समानता होती है। बलात्कारियों के फिंगरप्रिंट एक समान पैटर्न के होते हैं, इसी प्रकार साइको किलर और हिंसक मनुष्यों के फिंगर प्रिंट पेटर्न भी एक समान होते हैं। उन्होंने कहा कि फिंगरप्रिंट के पैटर्न से यह भी पता लग जाता है कि व्यक्ति सज्जन है। यहां उल्लेख करना अनिवार्य है कि मध्यप्रदेश में हस्त रेखा शास्त्र इसी प्रकार की रिसर्च रिपोर्ट पर आधारित है जिसे वैज्ञानिकों ने कुछ सालों पहले बच्चों का खेल कहकर रिजेक्ट कर दिया गया था। 

फिंगरप्रिंट से अपराधी और सज्जन व्यक्तियों की पहचान की जा सकती है: MPFPB की DDAR

श्री गणेश सिंह ठाकुर डायरेक्टर, मध्य प्रदेश फिंगरप्रिंट ब्यूरो का कहना है कि उनके ब्यूरो की डिटेल डाटा एनालिसिस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे होते हैं। कोई भी दो मनुष्यों के फिंगरप्रिंट समान नहीं होते परंतु उनका फिंगरप्रिंट पैटर्न समान होता है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अपराधियों के कुल चार प्रकार के फिंगर प्रिंट पेटर्न मिले हैं। इनमें सीरियल किलर और जघन्य हत्या करने वाले अपराधियों के फिंगर प्रिंट पेटर्न एक जैसे हैं जबकि गैंगरेप, बलात्कार और आपत्तिजनक हरकतें करने वालों के फिंगरप्रिंट पैटर्न एक जैसे हैं। उन्होंने बताया कि उंगलियों में एक खास प्रकार का पैटर्न मिला है। जिनके हाथ में यह पैटर्न होता है वह अक्सर निर्दोष पाए जाते हैं। यानी ऐसे लोग किसी भी प्रकार के गंभीर अपराध में शामिल नहीं होते। 

एनालिसिस रिपोर्ट पूरी तरह से प्रमाणित नहीं है

श्री गणेश सिंह ठाकुर ने यह भी बताया है कि उनकी एनालिसिस रिपोर्ट में किस प्रकार के अपराधियों के हाथों में किस प्रकार के फिंगरप्रिंट पैटर्न मिले हैं परंतु अपन भोपाल समाचार डॉट कॉम (एक जिम्मेदार समाचार संस्थान) हैं। इसलिए उनका विवरण प्रकाशित नहीं कर रहे हैं, क्योंकि ऐसा करने में बड़ा सामाजिक खतरा है। लोग अपने हाथों में और अपने परिवार एवं मित्र जनों के हाथों में फिंगर प्रिंट पेटर्न तलाशने लगेंगे और इसके आधार पर रिश्तो में दरार भी आ सकती है। क्योंकि ब्यूरो की एनालिसिस रिपोर्ट अभी पूरी तरीके से प्रमाणित नहीं है। सिर्फ इसके आधार पर विश्वास नहीं किया जा सकता। 

जब विश्वसनीय नहीं है तो समाचार प्रकाशित क्यों किया

निश्चित रूप से यह समाचार का विषय है क्योंकि, विश्वसनीय नहीं है लेकिन अविश्वसनीय भी नहीं है और जब सही दिशा में एक प्रयोग हो रहा हो तो उसका उल्लेख किया ही जाना चाहिए, लेकिन उतना ही किया जाना चाहिए जितना अपन कर रहे हैं। यहां उल्लेख करना अनिवार्य है कि भारत के हस्तरेखा शास्त्र में इसी प्रकार की रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर पूर्वानुमान की पद्धति का उल्लेख किया गया है। कुछ सालों पहले वैज्ञानिकों ने इसे बच्चों का खेल बताकर रिजेक्ट कर दिया था। यदि मध्य प्रदेश फिंगरप्रिंट ब्यूरो की डिटेल डाटा एनालिसिस रिपोर्ट भविष्य में प्रमाणित हो जाती है तो भारत का हस्तरेखा शास्त्र भी प्रमाणित हो जाएगा। बिलकुल वैसे ही जैसे, श्री राम सेतु मिलने के बाद राम रावण युद्ध प्रमाणित हो गया। इससे पहले तक कुछ लोग श्रीरामचरितमानस को दुनिया का सबसे लोकप्रिय उपन्यास कहा करते थे। 

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