Legal advice- पुलिस रिपोर्ट चार्ज शीट क्या होती है जानिए सरल शब्दों में

Bhopal Samachar
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 173 में बताया गया है कि जब कोई पुलिस अधिकारी किसी अपराध का अन्वेषण पूरा कर लेता है अर्थात समाप्त कर देता है एवं उसके बाद एक चार्ज शीट तैयार करता है और उस चार्जशीट को वह मजिस्ट्रेट के समक्ष भेजता है या पेश करता है उसे ही पुलिस रिपोर्ट कहते हैं।

आरोप पत्र से संबंधित महत्वपूर्ण जजमेंट-
राकेश कुमार पॉल बनाम असम राज्य (निर्णय वर्ष 2017) 

मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी गंभीर अपराध का अन्वेषण पुलिस द्वारा 60 दिनों या 90 दिनों के भीतर नहीं किया जाता है या पुलिस रिपोर्ट 60 या 90 दिनों के भीतर न्यायालय में नहीं दी जाती है, तब आरोपी को जमानत पर छोड़े जाने का पूर्ण अधिकार होता है।

अभिनंदन झा बनाम दिनेश मिश्र (वर्ष 1968) 

मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभिनिर्धारित किया हैं कि मजिस्ट्रेट को पुलिस अधिकारी को आरोप पत्र प्रस्तुत करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।

कुल मिलाकर बात करें तो पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी मजिस्ट्रेट को अपनी रिपोर्ट भेज देता है तब उसकी आगे कोई अन्वेषण कार्यवाही नहीं चलेगी। पुलिस अधिकारी द्वारा अंतिम रिपोर्ट (चार्जशीट) प्रस्तुत कर दिए जाने के पश्चात पुलिस अधिकारी का कार्य समाप्त हो जाता है और इसके बाद मजिस्ट्रेट अर्थात न्यायालय का कार्यक्षेत्र प्रारंभ हो जाता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

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