Madhya Pradesh nursing exam High Court news
भारतीय इतिहास में शायद यह पहली बार होगा जब कॉलेजों को मान्यता देने से पहले CBI उनके दस्तावेजों का परीक्षण करेगी और CBI की NOC के बाद ही मान्यता दी जा सकेगी, क्योंकि मान्यता देने वाली सरकारी संस्थाओं का रिकॉर्ड इतना ज्यादा खराब है कि हाईकोर्ट उनकी रिपोर्ट पर विश्वास करने को तैयार नहीं है। भारत के चिकित्सा शिक्षा सिस्टम में इतनी शर्मनाक स्थिति शायद ही किसी सरकार और सरकारी संस्था की बनी हो।
हम यह पब्लिसिटी के लिए नहीं, जनहित के लिए कर रहे हैं, हाईकोर्ट ने कहा
मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता श्री प्रशांत सिंह ने काफी प्रयास किए परंतु हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया कि जिन लोगों ने अब तक की नर्सिंग परीक्षाओं में इतनी धांधली की है उन्हें दोबारा परीक्षा लेने की अनुमति नहीं दे सकते। यह ध्यान रखना चाहिए कि, हाईकोर्ट ने कहा कि हम यह पब्लिसिटी के लिए नहीं बल्कि आमजन के हित के लिए कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश नर्सिंग परीक्षा मामले में हाई कोर्ट की कार्यवाही का विवरण
मामला मध्य प्रदेश में हुए नर्सिंग परीक्षा घोटाले का है। इसमें ऐसे कॉलेजों को मान्यता दे दी गई जिनके पास अपना भवन और स्टाफ तो दूर की बात, किसी किराए के कमरे पर एक बोर्ड तक नहीं था। ऐसे उम्मीदवारों को पास कर दिया गया जिन्होंने कभी नर्सिंग कोर्स में एडमिशन ही नहीं लिया था। इस मामले में मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल और मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी दोनों कोर्ट के कटघरे में हैं। विद्वान न्यायाधीश जस्टिस रोहित आर्य और जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की डबल बेंच में मध्यप्रदेश शासन की ओर से महाधिवक्ता श्री प्रशांत सिंह उपस्थित हुए। वह चाहते थे कि वर्तमान सत्र में जिन कॉलेजों को मान्यता दे दी गई है उन्हें परीक्षा कराने की अनुमति दी जाए, परंतु खंडपीठ ने उनकी मांग को सिरे से खारिज कर दिया।
मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल पर भरोसा नहीं कर सकते: हाई कोर्ट
किसी संस्थान के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है। जब महाधिवक्ता ने बताया कि, मान्यता के लिए कॉलेजों के दस्तावेजों की जांच मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल और मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी द्वारा की गई है और इसकी पूरी रिपोर्ट पेन ड्राइव में प्रस्तुत कर दी गई है तो मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय ने कहा कि मध्य प्रदेश नर्सेज रजिस्ट्रेशन काउंसिल पर भरोसा नहीं कर सकते। इनका रिकॉर्ड बहुत खराब है। जब महाधिवक्ता ने कहा कि मैंने स्वयं एक ही दस्तावेज का परीक्षण किया है तब खंडपीठ ने बताया कि आप इसके से अभी जुड़े हैं। पिछले 3 सालों में इन लोगों ने इस मामले में क्या तमाशा किए हैं आपको नहीं पता।
खंडपीठ ने इस मामले में सीबीआई के अधिकारियों को बुलाया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि, विश्वसनीयता का प्रश्न उपस्थित हो जाने के कारण कॉलेजों के मान्यता संबंधी दस्तावेजों की जांच सीबीआई को सौंपी जा सकती है। सनद रहे कि मध्य प्रदेश नर्सिंग परीक्षा घोटाला की जांच सीबीआई कर रही है।
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