भोपाल। मध्य प्रदेश शासन के साढ़े चार लाख कर्मचारियों को पूरी उम्मीद है कि, विधानसभा चुनाव 2023 के पहले उनकी पुरानी पेंशन की मांग पूरी हो जाएगी। भाजपा के कुछ बड़े नेताओं ने, कर्मचारी नेताओं को आश्वासन दिया है। उसी आश्वासन के वेरिफिकेशन के लिए कर्मचारी नेताओं के मित्र पत्रकारों ने शिवराज सिंह सरकार में इस मुद्दे से संबंधित मंत्रियों और प्रमुख लोगों से बातचीत की परंतु किसी ने कोई ऐसा जवाब नहीं दिया जिससे किसी निश्चित तक पहुंचा जा सके। भोपाल समाचार के सूत्रों का कहना है कि डिसीजन दिल्ली में होगा। फिलहाल कर्नाटक का इंतजार किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश की पुरानी पेंशन का कर्नाटक से क्या कनेक्शन
हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की हार के पीछे कर्मचारी नेताओं ने पुरानी पेंशन को एक बड़ा कारण बताया था परंतु हिमाचल प्रदेश के भाजपा नेताओं ने हार के कारणों की जो लिस्ट दिल्ली भेजी थी उसमें पुरानी पेंशन कोई प्रमुख कारण नहीं था। मध्यप्रदेश में मतदान से पहले कर्नाटक में चुनाव है। वहां पर भी पुरानी पेंशन कर्मचारियों का सबसे बड़ा मुद्दा है। दिल्ली की नजर कर्नाटक की गतिविधियों पर बनी हुई है। यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि क्या पुरानी पेंशन के कारण भाजपा के वोट में कोई असर पड़ेगा।
दिल्ली में ड्राफ्ट तैयार, समीक्षा का सिलसिला शुरू
पुरानी पेंशन के मुद्दे पर दिल्ली में एक ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। इसमें कर्मचारियों की सभी मांगों की पूर्ति तो नहीं की गई है परंतु OPS के उन फीचर्स को NPS-2 में शामिल कर दिया है, जिसके लिए कर्मचारी विचलित हो रहे हैं। उस फीचर को हटा दिया गया है जिसके कारण कोई भी सरकार पुरानी पेंशन योजना से घबराती है। जिसके कारण मध्यप्रदेश में कर्मचारियों को रिटायर करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। अब देखना यह है कि, कर्नाटक के कर्मचारी दिल्ली को क्या संदेश देते हैं।
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