मध्य प्रदेश नगर सुधार न्यास अधिनियम 1960 के तहत घोषित अपूर्ण नगर सुधार स्कीम्स के निर्णय - MP NEWS

नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय, भोपाल द्वारा बताया गया है कि, मध्य प्रदेश नगर सुधार न्यास अधिनियम, 1960 के तहत अधिसूचित नगर सुधार स्कीम्स के तहत सम्मिलित भूमि स्कीम प्रकाशन की दिनांक से, समस्त भारों से मुक्त न्यास में पूर्णरूपेण निहित हो गई। अनेक प्रकरणो में राजस्व रिकार्ड में भी नगर सुधार न्यास/स्थानीय नगरीय निकायों का नाम दर्ज किया जा चुका है। लेकिन इनमें से अनेक भूमि स्वामियों को उनकी भूमि के अर्जन के लिए प्रतिकर का भुगतान आज दिनांक तक नहीं किया जा सका है। 

इसी प्रकार कुछ नगर सुधार स्कीम्स में प्रारम्भिक अधिसूचना जारी हुई है किन्तु धारा- 71 के तहत अधिसूचना जारी नहीं की गई है, फिर भी स्कीम में सम्मिलित भूमिस्वामियों को निजी विकास किये जाने की अनुमति प्राप्त नहीं हो पा रही है। वर्षों तक अक्रियान्वित रहने के कारण इनमें से अनेक नगर सुधार स्कीम्स का अब कोई औचित्य शेष नहीं है। अनेक जगहों पर अप्राधिकृत विकास हो जाने के कारण ऐसी स्कीम्स् को पूर्ण करना भी सम्भव नहीं है। जिन भूमियों पर मध्य प्रदेश नगर सुधार न्यास अधिनियम, 1960 की धारा 71 की अधिसूचना जारी की गई है, किन्तु भूमि का प्रतिफल भूमिस्वामी को नहीं दिये जाने के कारण अर्जन की प्रक्रिया अपूर्ण है, में अब प्रतिफल प्रदान करने हेतु अधिकांश विकास प्राधिकरण / स्थानीय नगरीय निकाय वित्तीय रूप से सक्षम नहीं है।

ऐसी सभी भूमि के भूमिस्वामी विगत कई दशकों से अपनी भूमि पर ना तो कोई योजना तैयार कर पा रहे है और ना ही उन्हें अपनी भूमि का कोई प्रतिफल प्राप्त नहीं हुआ है। अतः ऐसे प्रकरणों के समाधान के संबंध में विस्तृत परीक्षण कर मध्य प्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, 1973 की धारा-52 के तहत किया जाकर समुचित कार्रवाई किये जाने संबंधी निर्णय मंत्रि-परिषद की बैठक दिनांक 03/03/2023 द्वारा लिया गया है।

• प्रदेश में म.प्र. नगर सुधार न्यास अधिनियम 1960 के तहत विभिन्न नगरों में नगर सुधार न्यास का गठन किया गया था।

• म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 लागू होने के उपरान्त चरणबद्ध रूप से सभी नगर सुधार न्यासों का विघटन किया जाकर जिन नगरों में विकास प्राधिकरण गठित किये गये, उसमें समाहित किया एवं शेष नगरों में इन्हें स्थानीय नगरीय निकायों में समाहित किया गया। 

• तत्समय अनेक नगर सुधार न्यासों द्वारा म.प्र. नगर सुधार न्यास अधिनियम 1960- तहत नगर सुधार स्कीम्स अधिसूचित की गई थी, जिस पर अधिनियम के प्रावधानों के तहत विभिन्न चरणों तक कार्यवाही की गई थी। • म.प्र. नगर सुधार न्यास अधिनियम 1960 पूर्ण रूप से मप्र नगर सुधार न्यास निरसन अधिनियम 1994 के अंतर्गत निरसित हो गये। 

• अधिनियम के निरसित होने से नगर सुधार स्कीम का प्रबंधन तथा उसका क्रियान्वयन किस संस्था द्वारा किया जाएगा और किस अधिनियम के अंतर्गत किया जायेगा, इस संबंध में म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 38 (2) के परन्तुक एवं धारा 87 (1) (ग) तथा धारा 87 (2) में प्रावधान किया गया है। उक्त प्रावधानों के तहत जहां विकास प्राधिकरण गठित किये गये हैं, यहां विकास प्राधिकरण एवं जहां विकास प्राधिकरण गठित नहीं किये गये हैं, वहां स्थानीय नगरीय निकायों द्वारा ऐसी नगर सुधार स्कीम्स का प्रबंधन एवं क्रियान्वयन किया जायेगा।

• उपरोक्त नगर सुधार स्कीम्स में से अनेक स्कीम्स में धारा 71 के तहत अधिसूचना जारी की गई जिससे ऐसी भूमि प्रकाशन की दिनांक को तथा से, समस्त भारों से मुक्त न्यास में पूर्णरूपेण निहित हो गई।

• लेकिन इनमें से अनेक भूमि स्वामियों को उनकी भूमि के अर्जन के लिए प्रतिकर का भुगतान आज दिनांक तक नहीं किया जा सका है। इसी प्रकार कुछ नगर सुधार स्कीम्स में प्रारम्भिक अधिसूचना जारी हुई है किन्तु धारा 71 के तहत अधिसूचना जारी नहीं की गई है. फिर भी स्कीम में सम्मिलित भूमिस्वामियों को निजी विकास किये जाने की अनुमति प्राप्त नहीं हो पा रही है।

• वर्षों तक अक्रियान्वित रहने के कारण इनमें से अनेक नगर सुधार स्कीम्स का अब कोई औचित्य शेष नहीं है। अनेक जगहों पर अप्राधिकृत विकास हो जाने के कारण ऐसी स्कीम्स को पूर्ण करना भी सम्भव नहीं है।

• भूमि का प्रतिफल भूमिस्वामी को नहीं दिये जाने के कारण अर्जन की प्रक्रिया अपूर्ण है.. में अब प्रतिफल प्रदान करने हेतु अधिकांश विकास प्राधिकरण / स्थानीय नगरीय निकाय वित्तीय रूप से सक्षम नहीं है।

म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 50 (1) (क) में प्रावधान है कि. अधिनियम के निरसित उपबंधों के अधीन नगर विकास स्कीम अधिसूचित की गई हैं. किन्तु विकास कार्य या तो प्रारंभ नहीं किया गया है या किन्ही कारणों से हाथ में नहीं लिया गया है तो वह व्यपगत हो जायेगी। तथापि जहां अधोसंरचना विकास कार्य प्रारंभ किया गया था और अधिनियम में संशोधन की तारीख को गणना करने पर 10 प्रतिशत तक व्यय उपगत किया गया है और भूमिस्वामी द्वारा स्कीम पर उपगत किये गये व्यय का विकास प्राधिकरण को प्रतिपूर्ति कर दी गई है, तो जैसा की विहित किया जाये योजना व्यपगत हो जायेगी।

• विभिन्न विकास प्राधिकरणों की 25 वर्ष से पुरानी अक्रियाशील नगर विकास स्कीम जिनमें विभिन्न कारणों से क्रियान्वयन जारी रखना अथवा किया जाना संभव नहीं है, के सम्बंध में विभाग द्वारा नीति निर्धारित की गई। विकास प्राधिकरण की 25 वर्ष पुरानी अक्रियाशील नगर विकास स्कीम के अनुरूप ही नगर सुधार की पुरानी स्कीम के लिये नीति तैयार करने का निर्णय लिया जाना है। 

मंत्रि-परिषद के समक्ष निर्णय लिए जाने हेतु संक्षेपिका :- 
(क) म.प्र. नगर सुधार अधिनियम 1960 के तहत घोषित नगर सुधार स्कीम को म.प्र. नगर तथा सुधार स्कीम को म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, 1973 की धारा 50 के तहत अधिसूचित नगर विकास स्कीम के समतुल्य माना जाये। (ख) परिषद / प्राधिकरण बोर्ड के प्रस्ताव अनुसार नगर सुधार स्कीम पर कंडिका क्रमांक 11 में पुरानी स्कीम्स को परीक्षण करने की प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही की जाकर म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 52 के तहत समुचित निर्णय लिया जाये। 

(ग) म.प्र. नगर सुधार अधिनियम 1960 के तहत घोषित नगर सुधार स्कीम में राज्य शासन की शासकीय भूमियां नगर विकास स्कीम से प्रतिसंहरित किये जाने पर यह भमियां पूर्ववत राज्य शासन में निहित हो जायेगी तदानुसार राजस्व भू-अभिलेखों में अद्यतन कराने हेतु आवेदन नगर विकास स्कीम से संबंधित मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा म.प्र. भू-राजस्व संहिता अंतर्गत सक्षम प्राधिकारी को प्रस्तुत किया जायेगा। 

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