भोपाल। मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग में पिछले दिनों शिक्षकों के ताबड़तोड़ ट्रांसफर किए गए। इस दौरान नियमों का उल्लंघन हो गया और हजारों शिक्षकों की सैलरी होल्ड हो गई। लोक शिक्षण संचालनालय के कमिश्नर अभय वर्मा ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया। सैलरी रिलीज करने का आर्डर डिस्पैच कर दिया गया है, लेकिन इस आदेश के जारी होने के बाद कई नए सवाल पैदा हो गए हैं।
मध्यप्रदेश में शिक्षक ट्रांसफर गड़बड़ी की कहानी क्या है, संक्षिप्त में समझिए
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अपने कर्मचारियों की ट्रांसफर पॉलिसी जारी की गई। हजारों शिक्षक इसका इंतजार कर रहे थे। ग्रामीण क्षेत्रों में पदस्थ शिक्षक शहरी क्षेत्रों में आना चाहते थे। सरकार ने सबकी मनोकामनाएं पूरी की परंतु स्कूल शिक्षा मंत्री की इस दरियादिली के कारण शहरी क्षेत्रों में हजारों शिक्षक एक्स्ट्रा हो गए, अर्थात स्कूल में जो पद रिक्त ही नहीं है उस पथ पर शिक्षक को ट्रांसफर कर दिया गया।
मंत्री जी की कृपा से रिलीविंग और जॉइनिंग भी हो गई लेकिन सरकारी खजाने में जाकर मामला अटक गया। क्योंकि पद नहीं थे इसलिए वेतन भी जारी नहीं हुआ, लेकिन कहते हैं ना सरकार चाहे तो कुछ भी कर सकती है। राज्य शिक्षा मंत्री और आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय के बीच हुई विशेष बैठक के बाद निष्कर्ष निकाला गया कि नियमित शिक्षकों के रिक्त पद (उच्चतर माध्यमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक एवं प्राथमिक शिक्षक जो राज्य शिक्षक संवर्ग के अंतर्गत आते हैं) पड़े हुए हैं, के खाते से ट्रांसफर किए गए शिक्षकों का वेतन जारी कर दिया जाए।
डीपीआई कमिश्नर के ऑर्डर का इंपैक्ट- रिक्त पदों की संख्या कम और शिक्षकों का कैडर चेंज
डीपीआई कमिश्नर की गैस आर्डर से सैलरी तो रिलीज हो जाएगी परंतु और कई सारी समस्याएं सामने आ सकती हैं। सबसे बड़ी बात है कि पुराने शिक्षकों का कैडर चेंज हो जाएगा। राज्य शिक्षा संवर्ग में GPF कटौती का प्रावधान ही नहीं है। पुराने शिक्षकों पर न्यू पेंशन पॉलिसी लागू हो जाएगी और सबसे बड़ी बात यह है कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में रिक्त पदों की संख्या कम हो जाएगी।
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