यदि आप मध्य प्रदेश के सबसे आधुनिक शहर इंदौर में हैं। आपके पास आधे या 1 दिन का समय है। आप 90 के दशक की जिंदगी का आनंद लेना चाहते हैं तो आपको ओखलेश्वर महादेव मंदिर आना चाहिए। यहां आपको 500 वर्ष पुराना शिवलिंग और श्री राम भक्त हनुमान जी की दुर्लभ प्रतिमा के दर्शन होंगे। ना तो यहां लालची पंडित पुजारी हैं और ना ही ऐसा कोई बाजार जो अक्सर पर्यटक स्थलों की प्राकृतिक सुंदरता को डिस्टर्ब करते हैं।
इंदौर ओखलेश्वर महादेव का मंदिर कैसे पहुंचे- how to reach Ankleshwar Mahadev
ओखलेश्वर महादेव मंदिर की सुंदरता और दिव्यता का अनुभव करने के लिए पर्यटकों को इंदौर शहर से बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं। इंदौर से करीब 17 किमी दूर सिमरोल घाट के खत्म होने पर जो रेलवे लाइन नजर आती है, उसके पास से ही गांव बाइग्राम के लिए रास्ता मुड़ता है। रेलवे लाइन से करीब 20 किमी दूर बाइग्राम में यह ओखलेश्वर महादेव का मंदिर बना हुआ है।
इंदौर, देवास और खंडवा के जंगल की सीमा पर स्थित है
पक्की सड़क अगर यात्रा को सहज बनाती है, तो जंगल के बीच से होकर गुजरता रास्ता यात्रा को रोमांचक बना देता है। यह वह स्थान है जो कि इंदौर, देवास और खंडवा के जंगल की सीमा पर स्थित है, इसलिए हरियाली की यहां कोई कमी नहीं। बरसात के मौसम में तो यहां के नजारे और भी खुशनुमा हो जाते हैं।
ओखलेश्वर महादेव मंदिर- पर्यटन के लिए कब जाना चाहिए
सर्दी के दिनों में पेड़ों से छनकर आती धूप और भी सुकून देती है। फागुन के आसपास यहां जाना मतलब प्रकृति के उस रूप को देखने के समान है, जिसमें पेड़ों पर आग की आभा पलाश के खिले फूल कराते हैं। हां गर्मी के मौसम में जरूर इंदौर की अपेक्षा यह स्थान गर्म रहता है, लेकिन इस मौसम में भी सुबह-सुबह यात्रा का आनंद लिया ही जा सकता है।
ओखलेश्वर महादेव मंदिर में है, हनुमान जी की सबसे दुर्लभ मूर्ति
मान्यता है कि यह स्थान कपिलमुनी की तपोभूमि है, यहां उनका आश्रम हुआ करता था। एक किंवदंती यह भी है कि श्रीराम-रावण युद्ध के लिए जब श्रीराम ने हनुमानजी को धाराजी से शिवलिंग लाने को कहा था, तब आकाशमार्ग से गुजरते वक्त हनुमानजी इस आश्रम की सुंदरता देख कुछ देर रुके थे। जब उन्होंने दिव्यदृष्टि से देखा कि श्रीराम ने रामेश्वर में रेत से शिवलिंग बना लिया है, तो वे यहीं स्तब्ध रह गए और आज भी यहां हनुमानजी की मूर्ति हाथ में शिवलिंग लिए यहां स्थापित है।
ओखलेश्वर महादेव मंदिर में 40 वर्ष से अखंड रामायण पाठ
हनुमानजी की यही अनूठी और विशाल मूर्ति यहां आस्था का केंद्र है। यहां विगत करीब 40 वर्ष से अखंड रामायण पाठ संत और ग्रामीणों द्वारा किया जा रहा है। तभी से अखंड ज्योत भी जल रही है।
ओखलेश्वर महादेव मंदिर 500 वर्ष पुराना है, प्रसाद में छाछ मिलती है
स्थानीय लोगों की मानें तो आज भी यहां गहरी खुदाई होने पर प्राचीन प्रतिमाएं मिलती रहती हैं, जिनमें से कई मूर्तियां मंदिरों में स्थापित कर दी गई हैं। यहां एक शिव मंदिर भी है, जो करीब 500 वर्ष प्राचीन है। मंदिर आने वाले भक्तों को प्रसाद के रूप में छाछ पिलाई जाती है। शिवरात्रि पर यहां मेला भी लगता है।
इंदौर के नजदीक प्राचीन और पारंपरिक पिकनिक स्पॉट है
मंदिर में प्राचीन बावड़ी भी है जिसमें नीचे उतरने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं। मंदिर के पीछे करीब डेढ़- दो किमी दूर एक बरसाती नदी भी है, जिसमें वर्षाऋतु में प्रचुर मात्रा में पानी रहता है। यद्यपि यहां जाने वालों को पीने का पानी साथ ले जाना चाहिए।
यूथ होस्टल एसोसिएशन के संरक्षक ओमप्रकाश माहेश्वरी नाश्ता भी साथ लेकर जाने की सलाह देते हैं। हालांकि यहां पहले से सूचना दे दो तो भोजन की व्यवस्था हो सकती है। रात्रि विश्राम के लिए अब यहां कमरे भी बन चुके हैं। यदि आप बड़े समूह में यहां जा रहे हैं, तो अपने साथ रसोइये को भी ले जा सकते हैं ताकि वहीं भोजन बनाकर लुत्फ लिया जा सके। वैसे भोजन बनाने की व्यवस्था वहां भी हो सकती है।