ग्वालियर। लॉकडाउन में जब ज्यादातर लोग मोबाइल पर गेम खेल रहे थे, यूट्यूब पर साउथ इंडियन फिल्में और कॉमेडी देख रहे थे। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के एक गांव बगडुआ में एक युवक उसी यूट्यूब से अपनी जिंदगी बदलने की कोशिश कर रहा था। पेशे से ड्राइवर होने के कारण लॉकडाउन में बेरोजगार हो गया था, लेकिन हताश नहीं हुआ था।
पत्रकार देवेंद्र गाैड़ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि 42 साल का आशिक खान मूल रूप से ड्राइवर था और उसे ₹6000 महीने वेतन मिलता था। लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हो गया। उसने यूट्यूब पर चारपाई बनाना सीखा और अपने घर के लिए डिजाइनर चारपाई तैयार की। सबको बताने के लिए उसने अपने हाथ की बनाई चारपाई इंटरनेट पर अपलोड कर दी। बस यहीं से उसकी किस्मत बदल गई। लोगों ने उसे आर्डर देना शुरू कर दिया।
देवेंद्र गौड़ बताते हैं कि तब से लेकर अब तक उसका काम लगातार बढ़ता जा रहा है। राजस्थान से भी ग्राहक आने लगे हैं। अब वह चारपाई के साथ पलंग भी बनाता है। चारपाई की कीमत ₹4500 और पलंग की कीमत 11,500 है। वह बड़ी ईमानदारी से अपना बिजनेस कर रहा है। चारपाई पर मजदूरी के ₹1500 और पलंग पर मजदूरी के 3000 रुपए लेता है। लोगों से कहता है कि आप चाहे तो सामान बाजार से लाकर दे दें। उसे केवल अपनी मजदूरी चाहिए। चारपाई या पलंग बनाने में उसे लगभग 5 दिन का समय लगता है।
वह बताता है कि इन दिनों 8000 रुपए महीना आसानी से कमा लेता है। घर से बाहर भी नहीं जाना पड़ता है। पहले ड्राइवर का काम करता था। ₹6000 महीने तनखा मिलती थी। जान का जोखिम बना रहता है। जैसे-जैसे काम बढ़ता जाएगा, और लोगों को भी अपने साथ लगा लेगा।