हमे जब कोई वाद दायर करना होता है या प्रतिवाद या किसी विभाग में कोई फाइल, आवेदन तब एक शपथपत्र देना होता है। शपथ पत्र को हम एक प्रतिज्ञा पत्र भी कह सकते हैं सवाल यह है कि हमारे द्वारा दिया गया एक शपथ पत्र न्यायालय में एक औपचारिक(ठोस) साक्ष्य होगा या अनोपचारिक (सामान्य) आर्थत न्याय संगत न होना जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 296 की परिभाषा
1. किसी व्यक्ति का ऐसा साक्ष्य या कथन, बयान जो सही है या औपचारिक है उसे शपथ पत्र द्वारा लिया जा सकता है एवं जाँच ,विचारण, या अन्य कार्यवाही में साक्ष्य के रूप में ग्रहण किया जा सकता है।
2. अगर न्यायालय में पीड़ित या आरोपी कोई भी निवेदन करता है तब शपथ पत्र कर्ता को न्यायालय समन जारी कर बुलवा सकता है एवं शपथ पत्र में लिखे तथ्यों की परीक्षा करवा सकता है।
"इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शपथ पत्र एक औपचारिक(सुसंगत) साक्ष्य है न कि अनोपचारिक(असंगत) साक्ष्य है।" Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com