जबलपुर। एमपी एजुकेशन डिपार्टमेंट में योग्य एवं प्रतिभाशाली शिक्षकों के साथ में कैसा व्यवहार होता है। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक को डिपार्टमेंट में प्रमोशन नहीं दिया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी पालन नहीं किया। जब हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना का मामला प्रस्तुत किया गया तब कहीं जाकर लोक शिक्षण संचालनालय में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन के आदेश जारी किए।
श्री दिनेश कुमार राव उच्च श्रेणी शिक्षक के रुप में शासकीय जवाहर कन्या हाई स्कूल में कार्यरत हैं। श्री राव राष्ट्रपति/राज्यपाल पुरुस्कार प्राप्त हैं। तदनुसार, उन्हें मध्यप्रदेश शैक्षणिक सेवा (शाला शाखा) भर्ती तथा पदोन्नति नियम 1982 में अनुसूची 6 जोड़ने हेतु राजपत्र दिनाँक 10/05/2012 जारी किया गया था।
संशोधित नियम के अनुसार श्री राव को उच्च श्रेणी शिक्षक से व्याख्याता के पद पर आउट ऑफ टर्न पद्दोन्ति दी जानी थी परंतु विभाग द्वारा अपेक्षित कार्यवाही नही किये जाने पर उनके द्वारा हाई कोर्ट जबलपुर की शरण ली गई थी। उनके वकील श्री अमित चतुर्वेदी ने अनुसार श्री राव मध्यप्रदेश शैक्षणिक सेवा (शाला शाखा) भर्ती तथा पदोन्नति नियम 1982 की संसोधित अनुसूची 6 के अतिरिक्त, मध्यप्रदेश शैक्षणिक सेवा (शाला शाखा) भर्ती तथा पदोन्नति नियम 2016 अनुसार भी आउट ऑफ टर्न पदोन्नति के पात्र थे।
जिला शिक्षा अधिकारी, छिंदवाड़ा द्वारा श्री राव के प्रमोशन हेतु आयुक्त लोक शिक्षण भोपाल को प्रस्ताव भी भेजा गया था। साथ ही श्री राव ने परिवेदना में आवेदन देकर प्रकरण के निराकरण की मांग की गई थी। अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी से सहमत होकर हाई कोर्ट जबलपुर ने विभाग को निर्देश जारी कर श्री राव के आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पर 45 दिवस के अंदर कार्यवाही के निर्देश जारी किए जारी किए थे।
न्यायालय द्वारा निर्धारित समय के भीतर कार्यवाही नही किए जाने पर, श्री राव द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष अवमानना याचिका दायर की गई थी। उनकी ओर से अधिवक्ता उच्च न्यायालय अमित चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया था कि भर्ती नियम में प्रावधान एवं कोर्ट के आदेश की अवहेलना गम्भीर विषय है। कोर्ट ने विभाग को कंटेम्प्ट नोटिस जारी किये थे। परिणाम स्वरूप , कोर्ट के आदेश के पालन में, आयुक्त लोकशिक्षण ने श्री राव को उच्च श्रेणी शिक्षक ने व्याख्याता के पद पर पद्दोन्नति प्रदान करने के आदेश नवंबर माह में जारी कर दिये हैं।