इंदौर। यात्रियों से खचाखच भरी आई बस में आग लग जाने के बाद अब आई बस बनाने वाली कंपनी और उसका मेंटेनेंस करने वालों पर सवाल उठने लगे हैं। दावा किया गया था कि आई बस में इमरजेंसी अलार्म है। सेंसर लगा हुआ है। आग लगने की ऐसी घटना नहीं हो सकती जैसी की हो गई। अब सवाल उठ रहा है कि क्या सचमुच आई बस में कोई सेंसर और अलार्म था। या फिर आई बस खरीदी घोटाला हुआ है।
बस जब खरीदी गई थी तब इसकी खूबियां बताते हुए अधिकारियों ने कहा था कि यदि बस में आग लगती है या धुआं उठता है तो तुरंत अलार्म बज जाएगा, जो कि अलर्ट कर देगा। इतना ही नहीं बस में लगे सेंसर आग बुझाने के लिए फव्वारे भी शुरू कर देंगे लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। न अलार्म बजा और न ही सेंसर ने काम किया।
हर रात मेंटेनेंस किया जाता है
आई बसों का संचालन सुबह 6.30 बजे से शुरू होता है और रात को 11.30 बजे तक बस संचालित होती है। इसके बाद सुबह साढ़े 5 बजे तक बसों का मेंटेनेंस होता है, जिसमें बारीकी से बस की जांच की जाती है। पार्ट्स भी देखे जाते है। जिस बस में आग लगी मेंटेनेंस के दौरान उसमें कोई गड़बड़ी नहीं निकलने की बात अधिकारियों ने कही है। वहीं बस ड्रायवर ताराचंद का कहना है कि दो दिन से वह उस बस को चला रहा था, लेकिन कोई खराबी उसे भी नजर नहीं आई।
मेंटनेंस करने वाली एजेंसी को नोटिस
आई बस सहित अन्य बसों का मेंटेनेंस देखने वाली एजेंसी ट्रैवल्स टाईम को AICTSL के अधिकारियों ने आग लगने की घटना के संबंध में नोटिस जारी किया है और दो-तीन दिन में जवाब मांगा है। एजेंसी को यह बताना होगा कि आधुनिक बस होने के बावजूद उसमें आग कैसे लगी साथ ही घटना के दौरान अलार्म और सेंसर ने काम क्यों नहीं किया। एजेंसी इस संबंध में बस निर्माता फर्म से भी चर्चा करेगी।
65000 नागरिकों की जान खतरे में
एआईसीटीएसल कुल 54 आई बसों का संचालन करता है। ये सभी बसें एसी है। 30 बस जहां सीएनजी जबकि 24 बसें डीजल वाली हैं। 4 से 6 बसों का बैकअप रहता है। इस तरह सड़क पर करीब 48 बसें संचालिक होती है। आईबस का रोजाना बड़ी संख्या में लोग इस्तेमाल करते है। आंकड़ों में बात करें तो लगभग 65 हजार यात्री रोजाना बस में सफर करते हैं।