ग्वालियर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने पुलिस कस्टडी में एक व्यक्ति की मृत्यु के मामले में आरोपियों (5 पुलिस कर्मचारी एवं एक होमगार्ड कर्मचारी) पर 2000000 रुपए का जुर्माना लगाते हुए मामले की CBI जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही यह भी आदेश दिया है कि सभी पुलिसकर्मियों को ट्रायल खत्म होने तक निलंबित रखा जाए और उनका मुख्यालय ग्वालियर से कम से कम 700 किलोमीटर दूर रहे।
पुलिस ने पहले रिपोर्ट लिखने के लिए रिश्वत मांगी, आरोप
घटना दिनांक 10 अगस्त 2019 को घटित हुई थी। बेलगढ़ा जिला ग्वालियर निवासी सुरेश रावत खेत में खाद छिड़क रहे थे। इसी दौरान पड़ोस के खेमू शाक्य से विवाद हो गया। दोनों पुलिस थाने पहुंचे लेकिन पुलिस ने सुरेश रावत को थाने में बिठा लिया। सुरेश के बेटे अशोक रावत के अनुसार, बेलगड़ा पुलिस ने रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया। 20 हजार रुपए की रिश्वत मांगने लगे।
रिश्वत नहीं दी तो फरियादी को ही बंधक बना लिया, बेटे का आरोप
जब हमने रिश्वत देने में असमर्थता व्यक्त की तो कहने लगे पैसे नहीं दोगे, तो सुरेश नहीं छूटेगा। तब वह अपने समधी मंगल सिंह के साथ बाहर खड़ा हाे गया। थाने के अंदर से मारपीट की आवाज आई, तो वह दौड़कर अंदर गया। उसे पुलिसवालों ने आगे जाने से रोक दिया। थोड़ी देर बाद पता चला कि पिता सुरेश की हालत खराब हो गई है।
पुलिस को रिश्वत नहीं दी इसलिए पीट-पीटकर मार डाला, आरोप
पुलिसकर्मी विजय सिंह राजपूत, नीरज प्रजापति, विजय कुशवाहा, अरुण मिश्रा, धर्मेंद्र, होमगार्ड सैनिक एहसान खान पिता को मृत अवस्था में उठाकर बाहर लाए। पुलिस की गाड़ी में रखकर भितरवार अस्पताल ले गए। उनके साथ मंगल सिंह और मैं भी गाड़ी में बैठकर भितरवार अस्पताल आए थे। अस्पताल पहुंचे और डॉक्टरों ने उन्हें चेक किया तो मृत घोषित कर दिया।
मौत के बाद लिखी रिपोर्ट
अशोक ने बताया कि पुलिस ने पिता की मौत के बाद वह मामला दर्ज किया जिसे दर्ज कराने के लिए वह विवाद के बाद पुलिस के पास आ गए थे। बेटे ने कहा कि, पिता की मृत्यु के बाद हमने थाने में मौजूद पुलिसवालों के खिलाफ केस दर्ज कराया था।
सरकार जुर्माना वसूलकर जमा कराए
हाईकोर्ट के न्यायाधीश जीएस अहलूवालिया ने आदेश दिया है कि पुलिसकर्मियों और होमगार्ड सैनिक से क्षतिपूर्ति राशि वसूल कर मृतक के परिवार को दी जाए। एसपी ये जुर्माना हाईकोर्ट के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार के पास 5 जनवरी 2023 तक जमा कराएंगे।
किससे कितनी होगी वसूली
- एएसआई विजय सिंह राजपूत (रिटा. व तत्कालीन थाना प्रभारी): 10 लाख रुपए
- प्रधान आरक्षक अरुण मिश्रा: 5 लाख रुपए
- आरक्षक नीरज प्रजापति: 2 लाख रुपए
- आरक्षक धर्मेंद्र: 1 लाख रुपए
- आरक्षक विजय कुशवाह: 1 लाख रुपए
- होमगार्ड सैनिक एहसान खान: 1 लाख रुपए
केस का ट्रायल पूरा होने तक सभी सस्पेंड रहेंगे
एडवोकेट निर्मल शर्मा ने बताया कि मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने CBI को निर्देशित किया है कि यदि जांच में कोई लापरवाही सामने आती है, तो संबंधित जांच करने वाले पुलिसकर्मी के खिलाफ भी केस दर्ज किया जाए। साथ ही इस केस से जुड़े जितने भी आरोपी हैं उनका निलंबन तब तक यथावत रखा जाए, जब तक केस का ट्रायल पूरा नहीं हो जाता।
पुलिस की दलील
एडवोकेट निर्मल शर्मा ने बताया- CCTV स्क्रिप्ट के अनुसार, मृतक सुरेश ने पुलिस बंदीगृह में घुसकर दो बार आत्महत्या करने का प्रयास किया। वह लगभग सुबह 11 बजे थाने पहुंच गया था और पहली बार शाम को 6:23 बजे पर साफी गेट पर बांधकर लटका और नीचे गिर गया। 6:27 बजे सुरेश फिर से अंदर गया और फांसी लगा ली। 6:56 बजे आरक्षक विजय बंदीगृह में गया और सुरेश को खोलने का प्रयास किया। इस दौरान लगभग 10 मिनट तक थाने की लाइट गुल रही।