राजा भीम सिंह ने ग्वालियर से मराठों को खदेड़ दिया था, पढ़िए रोचक इतिहास- Amazing facts in Hindi

महाभारत काल से ही मध्यप्रदेश के ग्वालियर का इतिहास बड़ा रोचक और वीर योद्धाओं की कथाओं से भरा हुआ है। बहुत कम लोग जानते हैं कि ग्वालियर के किले पर एक समय में जाटों का राज हुआ करता था। राणा भीम सिंह जाट ने सन 1754 में ग्वालियर के किले पर कब्जा किया। उन्होंने ग्वालियर को अपने राज्य की द्वितीय राजधानी बनाया था। 

जाट मराठा युद्ध 1754 की कहानी

सन 1754 में उत्तर दिशा की तरफ अपनी विजय यात्रा पर बढ़ रही मराठा सेना ने राजा सूरजमल के कुम्हेर के किले पर घेराबंदी कर डाली। गोहद के राजा राणा भीम सिंह जाट अपनी 5000 की सेना लेकर सूरजमल के समर्थन में युद्ध करने पहुंच गए। इस युद्ध में 15 मार्च 1754 को मल्हार राव होलकर के पुत्र खंडेराव की मृत्यु हो गई और युद्ध में पराजय के बाद 18 मई 1754 को मराठा सेना वापस लौट गई। 

मराठा सेना का सेनापति विठ्ठल शिवदेव विंचुरकर इस तरह हार कर वापस नहीं जाना चाहता था। इसलिए उसने रास्ते में पड़ने वाले ग्वालियर के किले की घेराबंदी कर दी। उस समय ग्वालियर का किला मुगलों के अधीन था लेकिन दिल्ली दरबार में मुगलों के बीच इतना तनाव बढ़ गया था कि वह ग्वालियर के किले की रक्षा के लिए सेना भेजने की स्थिति में नहीं थे। 

ग्वालियर के किलेदार किश्वर अली खां ने राणा भीम सिंह जाट को एक संदेश भेजा और ग्वालियर का किला सौंपने की पेशकश की क्योंकि वह किसी भी कीमत पर मराठों के सामने घुटने टेकने को तैयार नहीं था। राणा भीम सिंह ने एक बार फिर ग्वालियर आ कर मराठा सेना को पराजित किया। इतिहास में दर्ज है कि यह काफी घमासान युद्ध था। आसपास के सभी सामंत, जमीदार, सरदार और अमीरों ने इस युद्ध में राजा भीम सिंह का साथ दिया था। जिसके कारण मराठा सेना को राणा भीम सिंह के सामने दूसरी बार शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा। और ग्वालियर के किले पर राणा भीम सिंह जाट का अधिकार हो गया।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!