जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक याचिका पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा कि सरकारी नौकरी में जरूरी नहीं है कि मांगी गई योग्यता के समकक्ष डिग्री अथवा डिप्लोमा को मान्यता प्रदान की जाए। यदि भर्ती विज्ञापन में समकक्ष का विकल्प नहीं है तो ऐसी स्थिति में समकक्ष का कोई महत्व नहीं है।
याचिकाकर्ता नरसिंहपुर निवासी मयंक दुबे की ओर से पक्ष रखा गया। दलील दी गई कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 2008 में पटवारी के पद के लिए आवेदन दिया। लिखित परीक्षा के बाद अनारक्षित श्रेणी में याचिकाकर्ता का नाम चयन सूची में दूसरे स्थान पर था। उसके पास डिप्लोमा-इन-कंप्यूटर एप्लिकेशन के साथ अन्य शैक्षणिक योग्यताएं भी हैं। इसके बावजूद उससे कम योग्यता वाले लखनलाल पांडे को नियुक्ति दे दी गई। दलील दी गई कि लखनलाल का नाम सूची में चौथे स्थान पर था।
सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पैनल लायर जुबिन प्रसाद व अनावेदक लखनलाल की ओर से अधिवक्ता विकास महावर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि पटवारी पद के लिए जारी विज्ञापन की शर्तों के अनुसार याचिकाकर्ता के पास निर्धारित योग्यता डिप्लोमा-इन-कंप्यूटर एप्लिकेशन का प्रमाण पत्र नहीं था। जो प्रमाण पत्र याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए हैं, वे विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप नहीं हैं, इसलिए दावा निरस्त किए जाने योग्य है।
न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मध्य प्रदेश शासन के वकील के तर्कों से सहमत होते हुए याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि नौकरी में नियुक्ति के लिए विज्ञापन की सभी शर्तों को, जैसी वह है वैसा ही पूरा करना जरूरी है। यदि योग्यता में समकक्ष का विकल्प उपलब्ध नहीं है तो समकक्ष की डिग्री या डिप्लोमा का उपयोग नहीं किया जा सकता।