भगवान कृष्ण से पहले मुरली किसने बजाई, यहां पढ़िए बांसुरी का इतिहास- GK in Hindi

Bhopal Samachar
बिना बांसुरी के भगवान श्री कृष्ण की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सिर पर मोर पंख और हाथ में बांसुरी, यही तो गोविंदा की पहचान है। बाल गोपाल कन्हैया ने गोकुल में कई चमत्कार किए। मुरली यानी बांसुरी भी इन्हीं चमत्कारों में से एक है। भगवान श्रीकृष्ण से पहले इतिहास में बांस से बनी हुई बांसुरी का कोई उल्लेख नहीं मिलता। 

स्लोवेनिया के डिव्जे बेब में एक चीज पाई गई जो करीब 43000 साल पुरानी है। इसमें कुछ छेद है। यह दिखने में बांसुरी जैसी है। यूरोप के इतिहासकारों का मानना है कि यह दुनिया की सबसे पुरानी FLUTE है। संभव है उनका दावा सही हो परंतु उनकी FLUTE को बांसुरी नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह बांस से नहीं बनी हुई है बल्कि भालू की हड्डी से बनी है। कुछ और ऐसी ही चीजें मिली है परंतु सभी हड्डियों की है। उनका आकार बांसुरी जैसा है। उनमें 5 से 7 छेद है। परंतु कोई भी चीज बांस के पेड़ से नहीं बनी हुई है। 

FLUTE और बांसुरी में अंतर है

लोग बांसुरी को अंग्रेजी में FLUTE कहते हैं परंतु दोनों वाद्य यंत्रों में अंतर है। FLUTE किसी भी चीज से बनाए जा सकते हैं। आजकल तो धातु के FLUTE काफी चलन में है परंतु बांसुरी केवल बांस से बनाई जाती है। बांस का होना बांसुरी की अनिवार्य शर्त और पहचान है। अतः यह मान लेना चाहिए कि बांस के सुर यानी बांसुरी का आविष्कार भगवान श्री कृष्ण ने किया। वह गायों को चराने के लिए जंगल में जाते थे अतः इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!