ग्वालियर। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीता परिवार का कब्जा हो गया है। पालपुर के राजा जो किसी जमाने में इस जंगल में शिकार किया करते थे, अब प्रवेश भी नहीं कर पा रहे हैं। अपने इतिहास से जुड़े रहने के लिए पालपुर का राज परिवार मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की शरण में है। याचिका प्रस्तुत कर दी गई है।
कूनो हमेशा से एक स्वतंत्र जंगल रहा है परंतु कूनो नदी के किनारे चंद्रवंशी राजा बलभद्र सिंह ने सन 1666 में पालपुर के जंगल पर अधिकार किया और कूनो नदी के किनारे किला बना कर पालपुर को अपने राज्य की राजधानी बनाया। आजादी के बाद सरकार ने पालपुर के पूरे एरिया को अभयारण्य में शामिल करने का फैसला किया। बालपुर के राजा जगमोहन सिंह उन दिनों विजयपुर विधानसभा के विधायक थे। उन्होंने सरकार को 220 बीघा जमीन अभयारण्य के लिए दान कर दी और कूनो पालपुर सेंचुरी का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम के बाद सरकार ने पालपुर के राजा को पालपुर से अलग कर दिया। वर्तमान में उस क्षेत्र का नाम कूनो नेशनल पार्क है, पालपुर शब्द ही हटा दिया गया है।
याचिकाकर्ता कृष्णराज सिंह पालपुर ने बताया- जिन शर्तों पर हमारे घराने ने यह जमीन अभयारण्य के लिए दी थी। उन शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा है। न तो हमें हमारे किले और मंदिर के अंदर जाने दिया जा रहा है, न ही सरकार ने हमें मुआवजा दिया है। इतना ही नहीं, चीता विस्थापन के कार्यक्रम में एक बार भी हमारे घराने का नाम नहीं लिया गया। इसी सम्मान को पाने के लिए हम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं। हमने मुआवजा राशि के अलावा पुश्तैनी किले और मंदिर में आने-जाने की अनुमति देने व नेशनल पार्क का नाम पालपुर नेशनल पार्क ही रहने देने की मांग की है।