भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी के जिला चिकित्सालय (जयप्रकाश हॉस्पिटल) में सीटी स्कैन घोटाला सामने आया है। यह काम एक प्राइवेट फर्म को दिया गया है। पत्रकार विवेक राजपूत का दावा है कि अस्पताल के रिकॉर्ड में डॉक्टरों ने केवल 240 सीटी स्कैन आर्डर किए जबकि सिद्धार्थ डायग्नोस्टिक सेंटर ने 720 सीटी स्कैन का बिल लगा दिया। यह घोटाला एपी हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने पकड़ा है।
सरल शब्दों में कहें तो भोपाल के सरकारी जिला चिकित्सालय में सिद्धार्थ डायग्नोस्टिक सेंटर को ₹200000 का आर्डर दिया था और फर्म ने ₹700000 का बिल लगा दिया। यह बिल्डिंग में गड़बड़ी का मामला है। इसमें एक बड़ा प्रश्न यह भी है कि जयपुर की फर्म को भोपाल में काम देने की क्या जरूरत थी। सिद्धार्थ डायग्नोस्टिक सेंटर के पास ऐसा कौन सा रॉकेट साइंस है जो भोपाल के डायग्नोस्टिक सेंटर के पास नहीं था और सबसे बड़ा विचार करने वाली बात यह है कि जयपुर की फर्म भोपाल में आकर भोपाल की फर्म की तुलना में सस्ता काम कैसे कर सकती है।
हो ना हो दया, गड़बड़ तो टेंडर से ही शुरू हुई है।
आयुष्मान योजना जैसा घोटाला लगता है
पिछले दिनों मध्य प्रदेश में सरकारी आयुष्मान योजना में गड़बड़ी पकड़ी गई थी। ऐसे मरीज जो 6 महीने पहले इलाज कराने आए थे, उनके दस्तावेजों के आधार पर उन्हें फिर से भर्ती दिखाया गया और सरकार से पैसे वसूले गए। इस मामले में भी ऐसा ही कुछ दिखाई दे रहा है। प्राइमरी इन्वेस्टिगेशन में पता चला है कि बीपीएल कार्ड वाले मरीजों के नाम पर 2 या 2 से अधिक बिल लगाए गए हैं जबकि डॉक्टर ने काफी समय पहले केवल एक बार सीटी स्कैन करने के लिए कहा था।
ऐसा भी हुआ है- दर्द सीने में उठा था, गला और घुटने के भी स्कैन करा डाले
वरिष्ठ पत्रकार विवेक राजपूत का दावा है कि जयपुर की फर्म ने लागत से कम मूल्य पर टेंडर प्राप्त किया और फिर मुनाफा कमाने के लिए 1+2 की स्कीम पर काम किया। सामान्य मरीजों से सीटी स्कैन के लिए 933 रुपए निर्धारित किए गए थे परंतु फर्म ने ₹1500 तक वसूल किए। बीपीएल मरीजों को डॉक्टर ने एक जगह सीटी स्कैन के लिए लिखा था, फर्म ने 3-3 रिपोर्ट बना डाली।